अब लोग फिर से खा सकेंगे 'कुत्ते' का मांस, हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध हटाया

कोहिमा: गुवाहाटी उच्च न्यायालय की कोहिमा बेंच ने नागालैंड सरकार को बड़ा झटका देते हुए सरकार के उस फैसले को निरस्त कर दिया है जिसमें रेस्टोरेंट में कुत्तों के मांस (Dog Meat) की बिक्री के साथ ही वाणिज्यिक आयात (Commercial Import), कुत्तों की खरीद-फरोख्त और कुत्तों के बाजार पर बैन लगा दिया गया था. न्यायमूर्ति मार्ली वैंकुन (Justice Marli Vankun) के नेतृत्व वाली बेंच ने 2 जून को यह कहते हुए अपना फैसला सुनाया है कि नागालैंड के मुख्य सचिव 4 जुलाई, 2020 को प्रतिबंध से संबंधित आदेश जारी करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी (Appropriate Authority) नहीं थे. 

बता दें कि, राज्य सरकार ने कुत्तों के वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर रोक के साथ ही कुत्तों के बाजार और कुत्तों के दोनों प्रकार के कच्चे या पके मीट की बिक्री पर बैन लगा दिया था. नागालैंड सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 (Food Safety & Standards (Food Products Standards and Food Additives) Regulations, 2011) के प्रावधानों का हवाला देते हुए बैन के खिलाफ दाखिल की गई याचिका का जवाब देने में विफल रहने के बाद ढाई वर्ष पूर्व नवंबर 2020 में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इस बैन को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया था.

कोहिमा म्युनिसिपल काउंसिल के तहत कुत्तों का आयात करने और कुत्ते का मांस बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने वाले व्यापारियों की तरफ से उच्च न्यायालय में यह याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें प्रतिबंध के कानूनी आधार और अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकारी अधिसूचना की गलत व्याख्या की गई और खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Food Safety Act) पर अधिक विश्वास किया गया. 

इस पर कोर्ट ने कहा कि विचार करने का केंद्र बिंदु यह है कि क्या भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने अगस्त 2014 के सर्कुलर को जारी करके अपनी प्रत्यायोजित ताकतों से परे काम किया है, जिसमें कहा गया है कि खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य नियमन 2011 के विनियम 2.5 को परिभाषित किया गया है. पशु, शव और मांस जिसमें उप-विनियम 2.5.1 (ए) ने “पशु” को परिभाषित किया है, और क्या परिपत्र के अनुसरण में नागालैंड राज्य ने 4 जुलाई 2020 की आपत्तिजनक नोटिफिकेशन जारी की थी. न्यायमूर्ति वैंकुन ने इस बात का जिक्र किया कि ‘जानवरों’ की परिभाषा के तहत कुत्तों का उल्लेख नहीं किया गया है, साथ ही यह भी जोड़ा कि यह हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि कुत्तों का मांस पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में ही खाया जाता है.

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