लखनऊ: वाराणसी के ज्ञानवापी-शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग करने वाली वादियों में मुख्य वादी राखी सिंह ने अन्य वादियों पर दुष्प्रचार व उत्पीड़न का इल्जाम लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी। हालांकि अब उन्होंने अपना फैसला बदल लिया है। उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू को भेजे पत्र में आरोप लगाते हुए कहा है कि मुकदमे से उनके नाम वापस लेने का दुष्प्रचार किया गया। जबकि ना तो मेरी ओर से कोई ऐसा बयान दिया गया और ना ही मैंने या पैरोकार मेरे चाचा जितेन्द्र सिंह विसेन की तरफ से कोई सूचना जारी की गई। उन्होंने 4 अन्य वादी महिलाओं व उनके वकीलों पर आरोप लगाया कि वे मेरे परिवार को बदनाम कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राखी सिंह के इस पत्र के बाद राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह ने उनके साथ बात की। उन्होंने राखी सिंह को समझाया और कहा कि वो अब उनकी तरफ से ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी का मुकदमा लड़ेंगे। राजा भैया के पिता द्वारा दिए गए इस आश्वासन के बाद राखी सिंह ने इच्छा मृत्यु का अपना फैसला बदल लिया। इस मामले में राखी के चाचा और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने जानकारी देते हुए कहा कि उदय प्रताप सिंह उनके घर आए और आश्वसन दिया कि ज्ञानवापी से संबंधित केस वह संभालेंगे। बता दें कि राखी सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाए थे कि उन्हें हिन्दू समाज में गद्दार घोषित करने की कोशिश की जा रही है। राखी सिंह ने अपने पत्र में राष्ट्रपति से 9 जून की सुबह 9 बजे तक उत्तर के इंतज़ार करने की बात कही है। पत्र में लिखा कि अगर राष्ट्रपति की तरफ से कोई आदेश नहीं आया तो उसके बाद जो भी फैसला होगा, वह उनका खुद का होगा। वहीं, चार अन्य वादी महिलाएं व अधिवक्ताओं ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। OBC आरक्षण का लाभ ले रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी! बंगाल में बड़े पैमाने पर पिछड़ों का धर्मांतरण - राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का दावा अरविंद केजरीवाल के भाषण में लगे मोदी-मोदी के नारे, दिल्ली CM को जोड़ने पड़े हाथ, तब हुआ सम्बोधन, Video 'मेरी बेटी शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी..', विदाई के वक़्त दुल्हन के पिता की 3 शर्तें सुनकर सिर पकड़कर बैठ गया दूल्हा