हाल ही में देश के महान लोगों की मूर्तियों को तोड़ने का एक दौर चल पड़ा है, देश का बेरोजगार युवा कुछ काम न होने के कारण देश में जगह-जगह मुर्तिया तोड़ रहा है, प्रशासन और सरकार तमाशा देख रही है. सबसे पहले त्रिपुरा में लेनिन फिर पेरियार फिर श्यामाप्रसाद मुखर्जी, बाबा साहब अम्बेडकर और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मूर्ति पर स्याही फेंकने का मामला सामना आया है. घटना पश्चिम बंगाल के कटवा की है, यहाँ शुक्रवार की रात टेलीफ़ोन मैदान में मौजूद पंडित नेहरू की मूर्ति पर शरारती तत्वों ने स्याही फेंकी, उसके बाद पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर मामले को संज्ञान में लिया साथ ही मूर्ति को उसी समय साफ कराया. इस घटना के बाद अभी कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी के नेता का अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है. मूर्ति तोड़ने और उन्हें अपमान करने के इस चलन की शुरुआत त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद वहां मौजूद क्रांतिकारी लेनिन की मूर्ति को भाजपा की टी-शर्ट पहने कुछ लोगों ने गिरा दिया, इसके बाद ही समाजसेवी पेरियार की मूर्ति को तमिलनाडु में कुछ शरारती तत्वों ने तोड़ दिया था, फिर भारतीय जनसंघ के संस्थापक और देश के पूर्व उद्योग और आपूर्ति मंत्री डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मूर्ति पर कोलकाता में स्याही फेंकने का मामला सामने आया था फिर चेन्नई में भारत रत्न और संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर की मूर्ति को निशाना बनाया और अब पश्चिम बंगाल में फिर एक बार नेहरू की मूर्ति का अपमान किया है. भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में इस तरह की घटनाएं न केवल निंदनीय है बल्कि बेहद शर्मनाक है. यह तोड़ने का दौर है, सब कुछ तोड़ा जाना चाहिए अब मेरठ में आंबेडकर की मूर्ति तोड़ी अब जबलपुर में सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को रंग दिया