नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज शनिवार को अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को नोटिस जारी कर उनसे अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग हटाने को कहा है। दरअसल, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद अदालत को व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया था, तब सुनीता ने अपने पति केजरीवाल के बयानों की गैर-कानूनी तौर पर रिकॉर्डिंग करके सोशल मीडिया पर डाल दी थी। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब को निर्देश दिया कि वे उनके संज्ञान में आने पर इसी तरह की सामग्री को हटा लें। अदालत ने अन्य सोशल मीडिया हैंडल्स को भी वीडियो हटाने का निर्देश दिया। अदालत ने यह आदेश अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए पारित किया। यह वीडियो 28 मार्च का है, जब केजरीवाल ने विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) कावेरी बावेजा को संबोधित किया था, जब उन्हें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के बाद दूसरी बार अदालत में पेश किया गया था। अधिवक्ता वैभव सिंह ने तर्क दिया कि केजरीवाल द्वारा उक्त तिथि को राउज एवेन्यू कोर्ट को संबोधित करने के बाद, आम आदमी पार्टी (आप) और अन्य विपक्षी दलों से जुड़े कई सोशल मीडिया हैंडलों ने अदालती कार्यवाही की वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग बना ली और उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर दिया। सुनीता केजरीवाल ने एक एक्स यूजर द्वारा अपलोड की गई ऑडियो रिकॉर्डिंग को भी रीपोस्ट किया। सिंह ने तर्क दिया कि "दिल्ली उच्च न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम 2021" के तहत अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग प्रतिबंधित है और इन वीडियो को वायरल करना न्यायपालिका और न्यायाधीशों की छवि को खराब करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस तरह के वीडियो पोस्ट करना अरविंद केजरीवाल और AAP द्वारा मुक़दमे को प्रभावित करने के लिए रची गई साजिश का हिस्सा है। फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने किया इजराइल के खिलाफ आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के समर्थन का ऐलान छत्तीसगढ़ में बड़ी स्ट्राइक, मुठभेड़ में मारे गए 8 नक्सली बांग्लादेश से आई सलमा बानो, ग्वालियर में बन गई मीनू सक्सेना, हड़पी मृत फॉरेस्ट रेंजर की करोड़ों की संपत्ति