अब वंदे भारत को पलटाने की साजिश, पटरी पर रख दी थी ये चीज़

जयपुर: राजस्थान के पाली जिले में वंदे भारत एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की कोशिश का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 23 अगस्त की रात जोधपुर जा रही वंदे भारत ट्रेन पाली के पास रेलवे ट्रैक पर जानबूझकर रखे गए सीमेंट ब्लॉक से टकरा गई। इस घटना में ट्रेन को नुकसान पहुंचा और करीब 375 यात्रियों की जान खतरे में पड़ गई, हालांकि ड्राइवर की सूझबूझ के चलते एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गई।

 

बता दें कि, यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एजेंसियां 17 अगस्त को कानपुर के गोविंदपुरी स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की कोशिश की जांच कर रही हैं। पुलिस ने 26 अगस्त को इस घटना की जानकारी दी और बताया कि रेलवे कर्मचारियों की सतर्कता से एक बड़ा हादसा टल गया। सीमेंट ब्लॉक से टकराने के कारण ट्रेन का रेल गार्ड क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड ने निरीक्षण के बाद इसे सुरक्षित आगे बढ़ाया। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जोधपुर और अजमेर रेल मंडल के अधिकारियों से बातचीत की और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने इसे मोदी सरकार की छवि खराब करने की साजिश बताया।

सुमेरपुर थाने के SHO भारत सिंह रावत के अनुसार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर फालना पवन कुमार ने इस घटना के बारे में 24 अगस्त को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने जानबूझकर रेलवे ट्रैक पर कंक्रीट का ब्लॉक रखा था, जिससे ट्रेन को नुकसान पहुंचा। उल्लेखनीय है कि, यह पहली बार नहीं है जब रेलगाड़ियों को पटरी से उतारने की कोशिश की गई हो। हाल के वर्षों में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें रेलवे ट्रैक पर जानबूझकर बाधाएं रखकर दुर्घटनाएं कराने का प्रयास किया गया। कानपुर, कासगंज, और नैनपुर-जबलपुर ट्रेन दुर्घटनाओं जैसी घटनाओं में भी इस तरह के प्रयास किए गए हैं। अधिकारियों ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच जारी है।

 

इससे पहले केरल में मुनव्वर अली (37) और अब्बास अली (47) रेलवे की सिग्नल केबल उखाड़ते हुए पकड़े गए थे, जो ट्रेनों को निर्देश देने के काम आता है। पकड़े जाने पर उन्होंने कहा कि वे तो इसे कबाड़ में बेचने के लिए चुरा रहे थे। लेकिन, सिग्नल की नाकामी की वजह से अगर कोई हादसा हो जाता तो कौन जिम्मेदार रहता ? संभावना ये भी है कि, ये किसी आतंकी साजिश का हिस्सा हो, और मकसद ट्रेन दुर्घटना करवाना ही हो।  क्योंकि, इससे पहले ऐसा हो चुका है। साल 2021 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में किरंदुल-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, ये घटना नक्सलियों द्वारा रेल पटरी की फिश प्लेट (दो पटरियों को जोड़ने वाली प्लेट) निकलाने के कारण हुई थी। इसी तरह बंगाल में 2010 में अमिय महतो ,महंत महतो, सुनील महतो, मनोज महतो समेत कई नक्सलियों ने पटरियों की फिशप्लेट हटा दी थी, जिससे ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और दूसरी मालगाड़ी उसमे जा घुसी, इसमें 150 लोगों की दुखद मौत हुई।  

 

इसी प्रकार असम में 2022 में भीषण बाढ़ आई थी, इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान चली गई थी। बाद में जांच में पता चला कि, काबुल खान, मिठू हुसैन लस्कर, नजीर हुसैन लस्कर और रिपन खान ने जानबूझकर सिल्चर डैम को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिससे पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया और लाखों लोगों के घर तबाह हो गए थे। हाल ही में बंगाल में एक रेलवे सिग्नल पर कोई अख़बार लगा गया था, जिसे RPF ने समय रहते हटा दिया, वरना वो सिग्नल भी बंद हो चुका था। ये घटनाएं बताती हैं कि, जिसे हादसा या प्राकृतिक आपदा समझा जाता है, वो आतंकियों-नक्सलियों की सोची समझी साजिश भी हो सकती है। ऐसे में सरकार और समाज को अत्यधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है, क्योंकि इस वक़्त भारत के दुश्मन बहुत हैं, देश के अंदर भी और देश के बाहर भी।  

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