NRC सूची में नाम नहीं, उन्हें कोई मौलिक अधिकार नहीं

गुवाहाटी : असम सरकार ने वैध नागारिकों की पहचान के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का पहला ड्राफ्ट जारी किया है उसको लेकर विरोध भी हो रहा है. इसमें 3.29 करोड़ लोगों में से केवल 1.9 करोड़ को ही भारत का वैध नागरिक माना गया है. इस तरह देखा जाए तो असम में एक बड़ी आबादी अवैध तरीके से रह रही है.वहीं राज्य सरकार और सूची जारी करेगी. इन सबके बीच असम के मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं होगा, उन्हें कोई मौलिक अधिकार नहीं दिया जाएगा.

इस सूची को लेकर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहना है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किए गए मानवीय अधिकार ही मिलेंगे. इन्हें तब तक भारत में रहने की इजाजत होगी, जब तक केंद्र सरकार उनके निष्कासन पर कोई फैसला नहीं लेती है. उन्हें कुछ समय तक रहने के लिए स्थान, खाना और कपड़े मुहैया कराए जाएंगे. इसके अलावा उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलेगी. उन्हें कोई भी संवैधानिक अधिकारों के अलावा मूलभूत अधिकार और चुनाव का अधिकार भी नहीं दिया जाएगा. ये बात मुख्यमंत्री सोनोवाल ने अंग्रेजी अखबार से कही.

मुख्यमंत्री का बयान असम में अवैध तरह से रह रहे बंलादेशियों के लिए कड़ा संदेश है. उन्होंने कहा कि एनआरसी के ऐतिहासिक ड्राफ्ट के बाद भारतीयों और विदेशी नागरिकों में अंतर हो पाएगा. एनआरसी के पहले ड्राफ्ट में कुल आवेदनों के करीब 40 प्रतिशत नाम हैं. दूसरे ड्राफ्ट के लिए छंटनी जल्द शुरू होगी. इस फेज के पूरा होने के बाद जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं होंगे, उन्हें अपने दावे के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि एनआरसी के बाद राज्य के लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी. करीब 40 साल से हमारे लोग भ्रम और अस्थिरता का जीवन जी रहे हैं. एनआरसी के बाद यह खत्म हो जाएगी. इसके बाद किसी की नागरिकता पर सवाल नहीं उठाएगा.

असम के लोगों की नागरिकता पर सवाल

एनआरसी का पहला ड्राफ्ट जारी होने के बाद असम में तनाव

 

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