आपको बता दे की आज पाकिस्तान के सूफी और कव्वाली गायक उस्ताद नुसरत फतेह अली खान का जन्मदिन है. नुसरत फतेह अली खान जिनका जन्म 13 अक्टूबर 1948, को पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद में हुआ. सूफी और कव्वाली गायक उस्ताद नुसरत फतेह अली खान जिन्होंने कुछ ऐसे गीत, गानें, गजले और कव्वाली दी है जिन्हें आज भी लोग सुनते नहीं थकते. नुसरत फतेह अली खान की आवाज और शब्दों का जादू कुछ ऐसा जो एक बार सुन ले वो बस उन्ही का हो जाता. ऐसे में 'मेरे रश्के कमर...', से 'ये जो हल्का हल्का सुरूर है...' तक हम आपके लिेए लाए है उनके कुछ ऐसे गाने जो पीड़ियो की पीड़ियां गुनगुनाती जाएंगी. नुसरत फतेह अली खान के यह गाने आज भी अच्छे-अच्छो की जुबां पर चढ़े हुए है. 'मेरे रश्के कमर...' ये गाना अाज किसी की जुबान से उतरने का नाम ही नहीं लेता लेकिन कम ही लोगो को पता होगा कि सबसे पहले ये गाना उस्ताद नुसरत फतेह अली खान ने गाया था. मैंने पत्थर से जिनको बनाया सनम.... नुसरत उन बहुत कम लोगो में से है जिन्हे जीते जी इतनी महोब्बत नहीं मिली जितनी जिंदगी से रुखसती के बाद मिली. अाफरीन... आज नुसरत के गाने जितना लोग पसंद करते हं उतना शायद ही किसी को पसंद किया जाता हो. ये जो हल्का-हल्का सुरूर है.... आज भी नुसरत फतेह अली खान की आवाज कानों में पड़ती हैं, तो बहुत से लोग मंत्रमुग्ध होकर उनकी गायकी में खो जाते हैं. अंखिया उड़ेक दिया... उनकी आवाज के अनूठेपन और रूहानियत को चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता है. अल्लाह हू... उनकी आवाज-उनका अंदाज, उनका हाथों को हिलाना, चेहरे पर संजीदगी का भाव, संगीत का उम्दा प्रयोग. शब्दों की शानदार रवानगी।।। उनकी खनक।।। सब कुछ हमें किसी दूसरी दुनिया में ले जाने पर मजबूर करता है. बॉलीवुड और हॉलीवुड से जुडी चटपटी और मज़ेदार खबरे, फ़िल्मी स्टार की जिन्दगी से जुडी बातें, आपकी पसंदीदा सेलेब्रिटी की फ़ोटो, विडियो और खबरे पढ़े न्यूज़ ट्रैक पर आज बिगबॉस के घर सरगुन और मनु पंजाबी की होगी एंट्री पुनीश को हवा में लटकाकर विकास बने घर के कैप्टन राजनीतिक दलों में बंद दरवाजों के पीछे की कहानी दिखाएगी केजरीवाल की फिल्म न्यूटन की सफलता पर राजकुमार ने कहा - "बजट से फर्क नहीं पड़ता" किशोर दा के कुछ सदाबहार गीतों की एक झलक