मोटापा सभी उम्र के लोगों के लिए खतरनाक माना जाता है। बहुत से अध्ययनों में यह पाया गया है कि मोटापा मधुमेह, हृदय रोग, मेटाबॉलिज्म विकारों और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। इसके अलावा, जिन लोगों को पहले से ही हृदय की समस्याएँ हैं, यदि उनका वजन बढ़ता हैं तो उनके लिए जानलेवा स्थितियों जैसे हार्ट अटैक का जोखिम अधिक हो सकता है। यही कारण है कि सभी उम्र के लोगों को अपने वजन को नियंत्रण में रखने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे कम उम्र में ही कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। जंक और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन को वजन बढ़ाने का एक प्रमुख कारक माना जाता है। हालांकि, हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि जीवनशैली में व्यवधान बच्चों में मोटापे की तेज वृद्धि का एक प्रमुख कारण है। हाल के कई अध्ययनों के आधार पर, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 2030 तक विश्वभर में 10 मोटापे से ग्रस्त बच्चों में से एक भारत से होगा। अध्ययन से पता चलता है कि लंबे समय तक स्क्रीन समय के दौरान, बच्चे और किशोर अधिक हाई कैलोरी स्नैक्स जैसे चिप्स और कुकीज़ खाते हैं, जबकि शारीरिक गतिविधि कम करते है, जिससे वजन बढ़ता है। इसके अतिरिक्त, स्क्रीन से निकलने वाली किरणे नींद को प्रभावित करती है, जिससे वजन बढ़ने से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ शारीरिक सक्रियताओं को बढ़ाने की सलाह देते हैं, जैसे बाहरी खेल और साइकिल चलाना, अत्यधिक स्क्रीन समय और संबंधित वजन बढ़ाने के नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला करने के लिए। यह बच्चों को कम उम्र से ही सक्रियता में रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है, ताकि वे स्वस्थ वजन बनाए रख सकें और वजन बढ़ने से रोक सकें। वजन नियंत्रण और आगे वजन बढ़ने से रोकने के लिए नींद की गुणवत्ता में सुधार भी महत्वपूर्ण है। क्या डायबिटीज के मरीज भी खाली पेट अंडे-ब्रेड खा सकते हैं? जानिए क्या है डॉक्टर की राय... लहसुन ही नहीं, इसका छिलका भी हेल्दी होता है, इसमें स्किन से लेकर सूजन तक की समस्याओं का है खुला इलाज गर्मियों में ज्यादा चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक न पिएं, इससे शरीर के इन अंगों को पहुंच सकता है नुकसान