कहा जाता है कि विष्णु जी की आरती करने से मन शांत होता है. इसी के साथ इस आरती से हर कोई भारतीय भली भाँती परिचित है. कहा जाता है ॐ जय जगदीश हरे यह आरती विष्णु जी के प्रति भक्तों का आत्समर्पण व्यक्त करता है. जी दरअसल यह एक ऐसी आरती है जिसे हर एक भारतीय या हर एक व्यक्ति अपने किसी भी पूजा पाठ के समय जाता ही है. कहा जाता है यह एक ऐसी आरती है जिसके गायन से सभी देवी देवता का पुण्य प्राप्त हो जाता है. तो आइए जानते हैं इस आरती को जिसे आपको रोज करना चाहिए क्योंकि इसे करने से आपको लाभ और धन-धान्य मिल सकता है. विष्णु जी आरती- ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे | भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे | जो ध्यावे फल पावे, दुःखबिन से मन का, स्वामी दुःखबिन से मन का | सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का | शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी | तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी | तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी | पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी | तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता | मैं मूरख फलकामी मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता | ॐ जय जगदीश हरे || तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति | किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति | ॐ जय जगदीश हरे || दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे | अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ द्वार पड़ा तेरे | ॐ जय जगदीश हरे || विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप हरो देवा | श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा | ॐ जय जगदीश हरे || आज इस राशि को रखना होगा फालतू खर्च पर नियंत्रण वरना डूबेगा सबकुछ कंघी करते हुए अगर आपके हाथ से छूट जाए कंघा तो समझ जाइए यह संकेत... कुमकुम से होते ऐसे-ऐसे लाभ कि सुनकर चौंक जाएंगे आप