बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के तहत नजरबंद रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. आप पार्टी के विधायक पर जानलेवा हमला, एक कार्यकर्ता की दर्दनाक मौत इस मामले को लेकर सोमवार को वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि उन्होंने जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. सारा अब्दुल्ला पायलट ने अपनी याचिका में नजरबंदी के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि इसमें बताई गईं वजहों के लिए पर्याप्त सामग्री और ऐसे विवरण का अभाव है जो इस तरह के आदेश के लिए जरूरी है. दिल्ली चुनाव में बुरी हार से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में मंथन की आवश्यकता! आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस मामले को लेकर याचिका में कहा कि वे लोग जिन्होंने सांसद, मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री के रूप में देश की सेवा की और राष्ट्र की आकांक्षाओं के साथ खड़े रहे, उन्हें अब राज्य के लिए खतरा माना जा रहा है. इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला को चार-पांच अगस्त, 2019 की रात घर में ही नजरबंद कर दिया गया था. बाद में पता चला कि इस गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 107 लागू की गई है.याचिका में उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद करने संबंधी पांच फरवरी का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. अनुराग ठाकुर ने संसद में दिया लिखित जवाब, कहा-अघोषित संपत्ति मामले में 422 नोटिस जारी... लोकसभा में जमकर बरसे मुलायम सिंह यादव, कहा-फारूक अब्दुल्ला पुलिस हिरासत से कब... भाजपा अध्यक्ष ने दिया बड़ा बयान, कहा-आप प्रमुख केजरीवाल की जीत में भगवान ने बरसाई कृपा...