नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण का नया ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा धीरे धीरे बढ़ने लगा है। देश में 2 दिसंबर को ओमिक्रॉन का पहला मामला आया था तथा अब 23 मामले हो गए हैं। मतलब 5 दिन में ही 10 गुना से अधिक इजाफा। केवल 5 दिन में ही दक्षिण अफ्रीका से आए ओमिक्रॉन का हमला 5 प्रदेशों तक हो चुका है। महाराष्ट्र में 10, राजस्थान में 9, कर्नाटक में 2, दिल्ली तथा गुजरात में 1-1 मरीज मिल चुके हैं। वही देश में सबसे पहले ओमिक्रॉन के दो मामले कर्नाटक में सामने आए थे। तत्पश्चात, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली एवं राजस्थान तक पहुंच गया। राजस्थान के जयपुर में 9 केस आ चुके हैं। ये सभी एक ही परिवार के हैं। परिवार के 4 व्यक्ति दक्षिण अफ्रीका से लौटा था तथा उसी से बाकी 5 व्यक्तियों में ओमिक्रॉन फैल गया। मगर परेशानी की बात ये है कि ये परिवार 28 नवंबर को जयपुर में एक शादी कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ था। अब प्रशासन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर बाकी व्यक्तियों की जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास कर रहा है, जिससे इसे फैलने से रोका जा सके। वही राजस्थान के अतिरिक्त ओमिक्रॉन ने महाराष्ट्र पर बड़ा हमला किया है। यहां अब तक 10 व्यक्ति इस वैरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं। सभी व्यक्ति दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे। महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन का पहला मामला 4 दिसंबर को आया था। यहां डोम्बिली में 1, पिंपरी चिंचवाड़ में 2, पुणे में 1 तथा मुंबई में 2 मामले मिले हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि सोमवार को जोहान्सबर्ग से मुंबई लौटे 2 व्यक्तियों में ओमिक्रॉन मिला है। इन्हें वैक्सीन की दोनों खुराक भी लग चुकी थी। मरीजों में क्या लक्षण? अब तक मिले ओमिक्रॉन के रोगियों में एक बात कॉमन है कि किसी को गंभीर लक्षण जैसे सांस लेने में समस्या या ऑक्सीजन की कमी या बॉडी में गंभीर संक्रमण फैलने जैसी दिक्कत नहीं नजर आई है। गुजरात के जामनगर में भी जिम्बाब्वे से लौटा व्यक्ति ओमिक्रॉन से संक्रमित पाया गया है। दिल्ली में भी तंजानिया से लौटे एक व्यक्ति में इस वैरिएंट की पुष्टि के पश्चात् प्रशासन अलर्ट पर है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि तंजानिया से लौटा ये व्यक्ति किस-किससे मिला था, उसकी जानकारी जुटाई जा रही है। ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया बड़ा फैसला तंमचे की नोक पर बदमाशों ने दिया लूट को अंजाम सुरक्षाबालों के हाथ लगी एक और बड़ी सफलता, गिरफ्तार हुआ लश्कर-ए-ताइबा का मददगार