एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों पर अमिताभ ने कहा- चप्पल की बात करते हैं... गंजी-लुंगी...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हुए एनकाउंटर्स पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर सुल्तानपुर में 1 लाख के इनामी बदमाश मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर। लोग पूछ रहे हैं कि बिना बुलेटप्रूफ जैकेट और चप्पल में आखिर मुठभेड़ कैसे हुई? इसके अलावा मंगेश यादव की जाति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

एसटीएफ के चीफ ने दी सफाई: एसटीएफ के प्रमुख अमिताभ यश ने इस पर आजतक से बात की और सभी सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बताया कि एसटीएफ का गठन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किया गया है। परिस्थितियों के हिसाब से टीम कार्रवाई करती है। उन्होंने कहा कि कई बार खुफिया कार्रवाई में एसटीएफ के लोग गंजी और लुंगी पहनकर भी जाते थे, इसलिए जंगल के ऑपरेशन में खास तरह के वस्त्रों का इस्तेमाल होता है।

फोटोग्राफ का मामला: एनकाउंटर की तस्वीरों को लेकर उठ रहे सवालों पर अमिताभ यश ने कहा कि वह फोटो सुबह की है, जबकि मुठभेड़ रात 3:30 बजे हुई थी। अधिकारी ने बताया कि उनके जूते कीचड़ में सन गए थे, इसलिए उन्होंने गाड़ी में रखी चप्पलें पहन लीं। यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, क्योंकि एसटीएफ हर परिस्थिति के हिसाब से तैयारी करती है।

जाति का कोई मुद्दा नहीं: मंगेश यादव की जाति को लेकर हो रही चर्चा पर अमिताभ यश ने कहा कि अपराधियों की कोई जाति नहीं होती। उन्होंने बताया कि एसटीएफ ने दो आरपीएफ जवानों की हत्या का मामला सुलझाया, जिनका नाम जावेद खान और प्रमोद कुमार था। कार्रवाई करते समय किसी की जाति नहीं देखी जाती। पुलिस और अपराधियों की एक ही बिरादरी होती है, और वो है अपराध और न्याय।

मुठभेड़ की प्रक्रिया: अमिताभ यश ने बताया कि जब भी अपराधी के खिलाफ कार्रवाई होती है, पुलिस गिरफ्तारी की कोशिश करती है और साक्ष्य जुटाती है। लेकिन अगर अपराधी पुलिस पर फायरिंग करता है, तो पुलिस भी जवाबी फायर करती है। एसटीएफ की ट्रेनिंग भी इसी हिसाब से होती है। उन्होंने बताया कि आरपीएफ के दो जवानों को बेहद नृशंस तरीके से मारा गया था और अपराधी से सरेंडर की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। गाजीपुर पुलिस और एसटीएफ ने अपराधी को गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वो मारा गया।

आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पर सफाई: आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के आरोपों पर अमिताभ यश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले आठ सालों से यह नियम नहीं है। किसी को भी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन नहीं मिलता। गिरफ्तार करने पर और मुठभेड़ में अपराधी के मारे जाने पर अवॉर्ड या रिवॉर्ड बराबर ही मिलता है, लेकिन एनकाउंटर के बाद जांच पूरी होने पर ही अवॉर्ड दिया जाता है।

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