हमारे हाथों में एक जिंदगी है, कह कर सुप्रीम कोर्ट ने किया गर्भपात से इंकार

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला के गर्भ गिराने की अनुमति याचिका को अस्वीकार कर दिया है. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित 37 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी की उसके बच्चे के जन्म के समय उसकी खुद की जान की खतरा है, साथ ही बच्चे में गंभीर मानसिक और शारीरिक विकार होने की भी संभावना है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उस महिला को इंकार कर दिया कि हमारे हाथों में एक जिंदगी है.

कोर्ट ने कहा कि 37 वर्षीय महिला के स्वास्थ्य कि जाँच के लिए गठित चिकित्सा बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था जारी रखने में मां को कोई खतरा नहीं है. जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि ये सभी जानते है कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चा से कम बुद्धिमान होता है, किन्तु वे ठीक होते हैं.

बेंच ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार भ्रूण में मानसिक और शारीरिक चुनौतियां हो सकती हैं किन्तु डॉक्टरों की सलाह गर्भ गिराने का समर्थन नहीं करती. हमें नहीं लगता कि हम गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे पाएगे. बता दे कि डाउन सिंड्रोम एक एेसा अनुवांशिक विकार है जो कि बौद्धिक और शारीरिक क्षमता प्रभावित करता है.

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