अयोध्या भारतीयों के सात तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। यह सरयू नदी के किनारे स्थित है। अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बना हुआ है। शोधकर्ताओं के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म आज से तक़रीबन 7128 वर्ष अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व को अयोध्या में हुआ था। रामायण के अनुसार इस नगर का निर्माण मनु' ने किया था। सरयू नदी के किनारे और भी भव्य मंदिर स्थित है। यहाँ पर 14 प्रमुख घाट है। इन घाटो में सबसे उल्लेखनीय घाट लक्ष्मण घाट , पापमोचन घाट , कैकेयी घाट, कौशल्या घाट,एवं गुप्तद्वार घाट प्रमुख घाट है। रघुनाथ मंदिर- जम्मू में स्थित इस राम मंदिर का देश विदेशो में भी प्रचार है। इस मन्दिर की वास्तुकला सब को अपनी और आकर्षित कर लेती है। कहा जाता है की सन 1835 में महाराजा गुलाब सिंह ने इस मंदिर की पहली नीव रखी थी। तब जाकर महाराजा रणजीतसिंह के काल में इस मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। इस मंदिर के अंदर की दीवारो पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है। त्रिप्रायर श्रीराम मंदिर- भारत के दक्षिण-पश्चिमी शहर त्रिप्रायर में यह ,मंदिर स्थित है। यह मंदिर त्रिप्रायर नदी के किनारे स्थित है। यह हिन्दुओ का सबसे प्रमुख स्थान है। कहा जाता है की इस मंदिर में जो मूर्ति स्थापित की गई है वह यहाँ के मुखिया को समुद्र तटपर मिली थी तब से ही वह यहाँ पर स्थापित है। यहाँ पर भगवान की पूजा त्रिमूर्ति के रूप में की जाती है। श्री सीतारामचंद्र स्वामी मंदिर- यह मंदिर आंध्रप्रदेश के खम्मण जिले के भद्राचलम शहर में स्थित है। यहाँ पर अभी रहवासी वनवासी है इसलिए भगवान राम को वनवासी के रूप में पूजते है। कहा जाता है की जब भगवान श्री राम जब सीता माता को खोजने के लिए निकले थे तब वह यहाँ पर रुके थे। उस स्थान को अभी भी पर्णशाला के नाम से जाना जाता है इस स्थान पर माता सीता ने वनवास के दौरान अपने वस्त्र सुखाये थे। श्री तिरुनारायण स्वामी मंदिर- यह एक छोटा सा राज्य है जहाँ यह मंदिर स्थित है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर दो मंदिर स्थित है, हरिहरनाथ मंदिर: इस मंदिर की मान्यता है की यह मंदिर तब बनवाया था जब माता सीता स्वयंवर हुआ था। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्प्रित है भगवान विष्णु को थिरुवंगड श्रीरामस्वामी मंदिर- केरल में स्थित यह मंदिर अंग्रेजो द्वारा बनाया गया एक प्रसिद्ध किला है जहाँ से कुछ ही दुरी पर राम मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 2,000 वर्ष पूर्व हुआ था। रामभद्रस्वामी मंदिर- यहाँ स्थित मंदिर रामभद्रस्वामी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। चित्रकूट का राम मंदिर: हिन्दुओ का यह सबसे पवित्र तीर्थ स्थान है। इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। इसे अभी इलाहबाद के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ सबसे प्राचीन वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप है । मध्यप्रदेश का रामवन- जब भगवान श्री राम वनवास पर गए तब वह इस स्थान पर भी आये थे। यहाँ पर राम वन काफी प्रचलित है। शहडोल से पूर्वोत्तर की ओर सरगुजा क्षेत्र है। जहाँ एक भव्य कुण्ड बना हुआ है और यह कुण्ड सीता कुण्ड के नाम से प्रचलित है। पंचवटी में राम- जब वनवास के अंत समय में भगवान श्री राम ने अपना वनवास नासिक के पंचवटी क्षेत्र में बिताया। भगवान यहाँ पर अगस्त्य मुनि के आश्रम में रहे थे। गोदावरी के तट को 5 वृक्षों का स्थान पंचवटी भी कहा जाता है। इसी जगह पर भगवान लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। मथुरा में स्थित ये मंदिर विवाह में आ रही बाधा को करता ख़त्म इस मंदिर में फेसबुक और एप्पल के फाउंडर भी हुए है नतमस्तक मंदिर में घंटी बजाने का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी जान लें जैन धर्म के महाकुम्भ का आयोजन 12 वर्ष बाद पुनः फरवरी में किया जाएगा