प्याज के भाव आजकल आसमान छू रहे हैं. पिछले साल से ही प्याज के दामों में लगातार वृद्धि ने आम इंसान को सबसे अधिक प्रभावित किया हैं. प्याज को लेकर सबसे अधिक विवाद भी हुए. और राजनैतिक रोटियां भी सेकी गई. चूकि प्याज हमारे घरों की रसोई का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. शायद ही ऐसी कोई सब्जी होगी जिसमें हम इसे नहीं डालते होंगे. पिछले साल ही लगातार इसके भाव में बढ़ोत्तरी ने सरकार पर एक प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया हैं. आखिर इतनी परिस्थितियां बिगड़ने से पहले ही सरकार ने कुछ कदम क्यों नहीं उठाये. प्याज के बिगड़ने दामों ने आम इंसान के घर से प्याज को ही गायब कर दिया हैं. प्याज पर ही सबसे ज्यादा राजनीति भी हुए हैं. और यदि बात की जाये केंद्र सरकार कि तो जल्द ही सरकार आयातित प्याज को 22 -23 रूपए में बेचने की सम्भावना हैं. जो हाल के मूल्यों का 60 प्रतिशत कम होगा. खबरों की माने तो प्याज बंदरगाहों पर सड़ने की सम्भावना हैं. जिसको देखते हुए सरकार ने ये कदम उठा सकती हैं. अभी के समय की बात की जाये तो केंद्र सरकार राज्य सरकार को 58 रूपए के दर पर प्याज आयात कर रही हैं. प्याज के बढ़ते दामों के कारण इससे परिवहन भी प्रभावित हो रहा हैं. लगातार बढ़ती प्याज की कीमतों के मद्दे नजर सरकार ने 2019 में राज्य की और से संचालित एमएमटीसी के द्वारा १.२ लाख टन आयात का निर्णय किया था. एमएमटीसी विदेशी बाजार से करीबन 14,000 टन प्याज क्रय किया जा चुका हैं. ग्रीन स्कूल कार्यक्रम में हिमाचल के चार स्कूल को किया जायेगा सम्मानित बनारस से पश्चिम बंगाल ले जाए जा रहे थे 195 कछुए, दो तस्कर गिरफ्तार कोरोनावायरस को लेकर अलर्ट पर मध्य प्रदेश, उज्जैन में मिले दो संदिग्ध मरीज