गरबा पंडालों में सिर्फ 'वराह' पूजने वालों को मिले एंट्री, हिंदू संगठन ने की मांग

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक स्थानीय दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ने मांग की है कि गरबा आयोजकों को केवल उन लोगों को एंट्री की अनुमति देनी चाहिए जो प्रभु श्री विष्णु के तीसरे अवतार 'वराह' की पूजा करते हैं, जिससे अन्य समुदायों के सदस्यों को दूर रखा जा सके। हिंदू पौराणिक कथाओं में 'वराह अवतार' को भारतीय सूअर के रूप में दर्शाया गया है।

वही इससे पहले, मध्य प्रदेश में एक बीजेपी नेता ने सुझाव दिया था कि 3 अक्टूबर से आरम्भ होने वाले नवरात्रि उत्सव के चलते गरबा नृत्य में भाग लेने के इच्छुक लोगों के लिए 'गोमूत्र' पीना अनिवार्य होना चाहिए। भोपाल में 'संस्कृति बचाओ मंच' के प्रमुख चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि गरबा आयोजकों को किसी व्यक्ति को 'वराह' की पूजा करने के पश्चात् ही पंडाल में प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडालों के प्रवेश द्वार पर वराह की तस्वीर लगाई जानी चाहिए।

चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, प्रत्येक प्रतिभागी को 'पंच-गव्य' दिया जाना चाहिए, जिसमें गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि ये शर्तें अन्य समुदायों के सदस्यों को प्रवेश से रोकेंगी, जो वराह अवतार को अपवित्र मानते हैं। आगे उन्होंने कहा कि सिर्फ सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोग ही 'पंच-गव्य' लेने के लिए तैयार होंगे। इससे पहले, इंदौर जिला भाजपा अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने सुझाव दिया था कि गरबा आयोजक केवल उन लोगों को प्रवेश की अनुमति दें जो गोमूत्र का सेवन करते हैं।

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