लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के हमीरपुर जनपद के अंतर्गत आने वाले कुंडरा गांव में केवल महिलाएं ही होली खेलती हैं। यहां पुरुषों का होली खेलना प्रतिबंधित है। विशेष बात तो यह है कि जब देश-विदेश में पुरुष समुदाय होली के दिन रंगों में सराबोर रहता है और इसका आनंद ले रहा होता है, वहीं बुंदेलखंड के इस छोटे से ग्राम में होली के दिन पुरुष खेतों में या किसी दूसरे काम से गांव से बाहर चले जाते हैं। इससे भी दिलचस्प बात है कि आम तौर पर बच्चों को जहां पूरे साल होली खेलने का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं और पिचकारी से लेकर रंगों की खरीद करते हैं, वहीं कुंडरा ग्राम के बच्चे रंगों के इस पर्व के दिन साफ-सुथरे कपड़े पहनकर अपने-अपने घरों के भीतर ही रहते हैं। ऐसा लगता है, मानो होली नहीं, दिवाली हो। इस दिन गांव की महिलाएं इस दिन पूरी तरह आजाद रहती हैं। साल के 364 दिन जो महिलाएं, गांव के बड़े बुजुर्गों के सामने पर्दे में रहती हैं, वे होली के दिन किसी का भी घूंघट नहीं करतीं। गांव के लोग बताते हैं कि होली के दिन गांव के ही रामजानकी मंदिर में पूरे गांव की महिलाएं इकठ्ठा होती हैं और फाग गाने जाती हुई धूमधाम से होली खेलती हैं। दिलावर सिंह, रामदीन मेश्राम और विवेक ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया है कि कई दशक पहले होली के ही दिन गांव के लोग रामजानकी मंदिर में फाग के गीत गा रहे थे, तभी एक इनामी डकैत मेम्बर सिंह ने रजपाल पाल नाम के व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद कई वर्षों तक इस गांव में होली नहीं मनाई गई। हालाँकि कुछ सालों के बाद महिलाओं ने पहल की और पुरुषों को भी मानाने की कोशिश की, लेकिन पुरुष नहीं माने, जिसके बाद से इस गांव में महिलाएं ही होली खेलती हैं। खबरें और भी:- होली पर इस तरह के पहने कपड़े और दिखें खास होली पर यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे चलाएगा स्पेशल ट्रेनें होली के दिन कर लें इस पेड़ की पूजा, रातोंरात मालामाल हो जाएंगे आप