नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति को फटकार लगाते हुए माफी माँगने का निर्देश दिया है, क्योंकि समिति ने एकल न्यायाधीश के खिलाफ आपत्तिजनक दलीलें दी थीं। यह मामला शाही ईदगाह पार्क से जुड़ा है, जहाँ दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने 'झाँसी की रानी' लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया था। समिति ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि यह जमीन उनकी है, लेकिन कोर्ट ने इसे DDA की संपत्ति घोषित किया था। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने मस्जिद समिति द्वारा विवाद को सांप्रदायिक रंग देने की आलोचना की। कोर्ट ने समिति को निर्देश दिया कि वह अगले दिन बिना शर्त माफी माँगे। न्यायालय ने कहा कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई एक राष्ट्रीय नायिका हैं, जो किसी धर्म से नहीं बंधी हैं, और समिति सांप्रदायिकता की रेखाएँ खींचने की कोशिश कर रही है। मस्जिद समिति के वकील ने यह तर्क दिया कि ईदगाह के सामने मूर्ति स्थापित करने से कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने दिल्ली अल्पसंख्यक समिति के यथास्थिति के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि मूर्ति स्थापित नहीं की जा सकती। हालांकि, DDA के वकील ने कोर्ट का ध्यान समिति द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों की ओर खींचा। कोर्ट की फटकार के बाद मस्जिद समिति के वकील ने बिना शर्त माफी माँगने और अपनी अपील वापस लेने पर सहमति जताई। कोर्ट ने अगली सुनवाई 27 सितंबर को तय की है। इस मामले में मस्जिद समिति ने याचिका में यह दावा किया था कि शाही ईदगाह एक वक्फ संपत्ति है और नमाज अदा करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। हालाँकि, एकल न्यायाधीश ने इस दावे को खारिज कर दिया था और कहा था कि ईदगाह पार्क DDA की संपत्ति है। पेरासिटामोल-पैंटोसिड-बी कॉम्प्लेक्स समेत 53 दवाएं क्वॉलिटी टेस्ट में फेल, कंपनियों ने माना नकली ! 'अशोक गहलोत ने टेप कराए सचिन पायलट के कॉल..', पूर्व OSD ने कबूला सच! 'पैसे निकालो वर्ना बम से उड़ा दूंगा...', वसूली करने पहुंचा नाबालिग और...