ओस की बूंदे है, आंख में नमी है

“ओस की बूंदे है, आंख में नमी है,

ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है

ये कैसा मोड है ज़िंदगी का

जो लोग खास है उन्‍की की कमी हैं 

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