भारत में रोजाना बलात्कार और गैंगरेप की घटनाएँ होती हैं. इन बढ़ते लैंगिक अपराधों की रोकथाम के लिए सभी कड़े कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. पर क्या केवल कानून बनाना ही इसका स्थाई समाधान होगा? दरअसल समस्या की असली जड़ तक जाना ज़रूरी है, कि वह कौन सी मानसिक स्थिति है जो अपराधियों को इसके लिए प्रेरित करती है. इसे जानने में ओशो के विचार सहायक सिद्ध हो सकते हैं. आध्यात्मिक गुरु ओशो ने कामुकता पर खुलकर अपनी राय रखी है. ओशो का मानना था कि जितना यौन संबंधों से दूर भागा जाएगा, आदमी और भी कामुक से कामुक होता चला जाएगा. उनका मानना था कि यदि सैक्स की वैज्ञानिकता को जान लिया जाए तो फिर यह केवल क्रिया रह जाएगी, जिसमे वासना का स्थान नहीं रहेगा. भारत में सदियों से चली आ रही परम्पराओं के नाम पर यौन संबंधों को वर्जित करने से ही आदमी कामुकता के प्रति आकर्षित होता जा रहा है. ओशो का कहना था कि “भारत के युवक के चारों तरफ सेक्‍स घूमता रहता है पूरे वक्‍त. उनके प्राणों में जिज्ञासा है, खोज है, लेकिन उसको दबाये चले जाते हैं. जैसे ही यह स्‍वीकृत हो जाता है. वैसे ही जो शक्‍ति हमारी लड़ने में नष्‍ट होती है, वह शक्‍ति हम रूपांतरित करते है—पढ़ने में खोज में, आविष्‍कार में, कला में, संगीत में,साहित्‍य में.” हिमाचल में मौसम की रंगत से पर्यटन गुलज़ार सीएम और डीएम के नाम पत्र लिख, सभासद ने लगाई फांसी इंदौर - भू-माफियाओं के खिलाफ निकाला कैंडल मार्च