'दुश्मन सिर्फ हमसे 50 मीटर की दूरी पर है. हमारे पास कम लोग है. चारों तरफ आग ही आग है लेकिन हम अपने कदम बिलकुल भी पीछे नहीं हटाएंगे और अपनी आखरी सांस और आखरी गोली तक लड़ते रहेंगे.' ये बोल थे मेजर सोमनाथ शर्मा के. भारतीय जवानों की यही कहानी है. भारत माता के लिए जियो और भारत मां के लिए ही कुर्बान हो जाओ. दीपों का त्यौहार दीपावली हम सभी के लिए खुशियां लेकर आती है. बच्चे बूढ़े जवान, हम सभी अपने घरों में महफूज, सारे ग़मों से दूर एक साथ खुशियां बाटते है. हम हंसी-ख़ुशी अपने परिवार के साथ त्यौहार बनाते है तो इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ हमारे वीर जवानों को जाता है. देश की सरहद पर हमारी हिफाजत के लिए दिन रात तैनात रहे वाले हमारे फौजियों की होली दिवाली सब बॉर्डर पर ही होती है. हर समय पीठ में छूरा भोंकने की फिराक में बैठे दुश्मन के मंसूबों को मिट्टी में मिलाने वाले हमारे जवान होली पर खून से होली खेलते है तो दिवाली तोप-गोलों के बीच मनाते है. ऐसे वीर जवानो को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए. हमारी रक्षा में अपने प्राणों की कुर्बानी देने वाले वीर जवानों को हम दिल से नमन करते है. हम सभी देशवासियों को ये दिवाली उन शहीद जवानों को समर्पित करनी चाहिए जो मुल्क की हिफाजत करते-करते सीमा पर शहीद हो गए. इस दिवाली हम एक प्रण लें कि घर में एक दिया उस शहीद के नाम का भी होगा जिसने राष्ट्र सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. क्या चीनी दीयों से रोशन होगी दीवाली? चाइनीज़ लाईट की रोशनाई या अंधियारा