'पर्यावरण का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी'

सबसे पहले तो आप सब का स्वागत है यहाँ आने के लिए...यह जानने की उत्सुकता में एक अमूल्य क्लिक करने के लिए कि आज "पृथ्वी दिवस" या कह लीजिए कि "अर्थ डे" है. वैसे भी शायद यह आर्टिकल नहीं होता तो शायद हम में से किसी को यह पता भी नहीं चल पाता कि आज हम पृथ्वी दिवस मनाते है. क्योकि हमारे लिए आज हर दिन एक जैसा ही हो गया है, जैसे अभी कुछ दिनों पहले ही 21 मार्च को 'इंटरनेशनल अर्थ डे' मनाया गया वैसे ही आज 22 अप्रैल को अर्थ डे मनाए जाने का रिवाज है.

चलिए अब जब इस बारे में बात कर रही रहे है तो बताते चले कि अर्थ डे को एक वार्षिक आयोजन माना जाता है, इसके अंतर्गत विश्वभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित किया जाता है. इसकी शुरुआत की बात करें तो यह अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में शुरू हुआ और अब इसे करीब 192 देशों में हरवर्ष मनाया जाता है.

यह तो हो गई कि आखिर क्यों मनाया जाता है पृथ्वी दिवस. अब हम बात करते है इस बारे में कि क्या सच में हम पर्यावरण को उतना सुरक्षित रख रहे है कि हम इस दिवस को मनाने के लिए सक्षम है. शायद आपका जवाब होगा "नहीं". वह इसलिए क्योकि हम यह बात बहुत अच्छे से जानते है कि हम पर्यावरण को सुरक्षित नहीं रख रहे है. बात पॉलीथिन के उपयोग की हो या कही भी कचरा फेंकने की या फिर पेड़ो की कटाई की ही क्यों ना हो. आज हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते है कि हम ये सब नहीं करते है. तो अब आप ही बताइए क्या हम यह आज का दिन मनाने के योग्य है. नहीं ना ! तो अब क्या किया जाएं....??

तो चलिए क्यों ना इसके योग्य बना जाए कि वर्ष में केवल एक दिन ही नहीं बल्कि हर दिन हमारा पर्यावरण इतना सुरक्षित रहे कि हम अपनी धरती की सुरक्षा कर सके. क्योकि कही ना कही इसे प्रदूषित करने के पीछे हम सभी जिम्मेदार है. यदि हम इस बात का ध्यान रखने लग जाए कि कही भी खुले में कचरा ना फेके या पॉलीथिन की जगह कागज का उपयोग शुरू कर दे तो शायद हम इसे सुरक्षित कर सकते है. या कोई भी ऐसी हरकत जो हमारी इस धरा को तबाह करने के लिए जिम्मेदार है उसका साथ छोड़ दे. क्योकि इस बात को हम सभी को ध्यान में रखना जरुरी है कि इस पृथ्वी से हम से है हमसे ये नहीं. इस अर्थ डे हम तो यही सन्देश देना चाहेंगे कि यह पृथ्वी हमारी है और हमें ही इसका ख्याल भी रखना है. तो इस बात का ध्यान रहे कि इस दिन को केवल वर्ष में एक ही दिन ना मनाते हुए हर दिन मनाए और अपनी पृथ्वी को सुरक्षित रखे.

हितेश सोनगरा

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