9 महीनों में 9 विपक्षी नेताओं की 'हत्या' सीएम भूपेश के लिए 'छोटी घटना', शर्मनाक बयान पर मचा बवाल

रायपुर: छत्तीसगढ़ में चुनाव वोटिंग से दो दिन पहले बस्तर में बीजेपी नेता रतन दुबे की बेरहमी से हत्या कर दी गई और जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस पर जवाब मांगा गया तो उन्होंने इसे छोटी सी घटना बताया. मीडिया से बात करते हुए सीएम बघेल ने सबसे पहले रतन दुबे के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और फिर अपने प्रशंसनीय अंदाज में कहा कि उनके बल के कारण नक्सली प्रभाव कम हुआ है. लोग दूर-दराज के इलाकों में जाते हैं. लेकिन ऐसी छिटपुट घटनाएं भी हो रही हैं. सामने आए वीडियो में उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है- 'एक जिला स्तर के अधिकारी की मौत हो गई है. मैं पूरे परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं लेकिन हमारी सेनाओं के लगातार दबाव के कारण नक्सली पीछे हट गये हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ जगहों पर छिटपुट घटनाएं हो रही हैं. लेकिन पहले की स्थिति और अब की स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर है.
 
 
 
मुख्यमंत्री के इस तरह की बात कहने के बाद लोग उनका वीडियो देख रहे हैं और पूछ रहे हैं कि एक शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई और उन्हें यह छोटी सी घटना लग रही है. एक यूजर कहता है- छोटी सी घटना. कांग्रेसियों के साथ जब भी कुछ होता है तो वह घटना उनके लिए बड़ी बन जाती है। एक यूजर ने कहा कि भूपेश बघेल की सरकार छत्तीसगढ़ को नक्सली हिंसा से नहीं बचा पा रही है; इसलिए जनता का इस पर से विश्वास उठ गया है।
 
 
छत्तीसगढ़ के बस्तर में 4 नवंबर की शाम चुनाव प्रचार के बाद भरी भीड़ के बीच रतन दुबे की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि प्रमोशन खत्म होने के बाद मंच के पास मुर्गों की लड़ाई का आयोजन किया गया था, जिसके कारण भीड़ जमा हो गई थी वहाँ। इसी बीच ग्रामीणों के वेश में लोगों का एक समूह चुपचाप भीड़ से अलग हो गया और मंच के पास आने लगा.
 
दुबे ने तुरंत उन्हें देख लिया और खतरे को भांप लिया. वह मंच से कूदकर भागने लगा. शोर-शराबा होने पर गांव वालों ने भी उधर देखा तो देखा कि लोगों का एक समूह बंदूकें, खंजर और कुल्हाड़ी लेकर दुबे का पीछा कर रहा है. कुछ दूर तक पीछा करने के बाद एक नक्सली ने दुबे को पीछे से गोली मार दी. जैसे ही वह गिरा, उस पर पीछे से खंजर और कुल्हाड़ी से हमला कर दिया गया. यह घटना जारघाटी थाने से 5 किलोमीटर दूर शाम करीब 5:30 बजे की है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है.
 
इससे पहले 16 जनवरी को बीजेपी कार्यकर्ता बुधराम करतम की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद बीजेपी नेता नीलकंठ कक्कम की हत्या कर दी गई. 10-11 फरवरी को नारायणपुर के उपाध्यक्ष साग साहू और दंतेवाड़ा में रामधर आलमी की हत्या कर दी गई.
 
पिछले नौ माह में नौ भाजपा नेताओं की हो चुकी है हत्या:-
 
आपको बता दें कि पिछले नौ महीने में छत्तीसगढ़ में नौ बीजेपी नेताओं की हत्या हो चुकी है. 16 जनवरी को कांकेर में बीजेपी नेता बुधराम कर्तम की संदिग्ध मौत हो गई. 5 फरवरी को बीजापुर में बीजेपी मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्कम की शादी समारोह में जाने के बाद नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. 10 फरवरी को नारायणपुर बीजेपी जिला अध्यक्ष सागर साहू की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. 11 फरवरी को दंतेवाड़ा के पूर्व उपसरपंच रामधर आलमी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. 21 जून को बीजेपी के एसटी मोर्चा के जिला महासचिव काका अर्जुन की नक्सलियों ने गला रेतकर हत्या कर दी थी. 18 अगस्त को नक्सलियों ने बीजापुर जिले के चिन्नागेलूर निवासी रामा पुनेम की पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर हत्या कर दी थी. 21 अगस्त को चिकत राज पहाड़ी से भाजपा नेता महेश गोटा का अपहरण कर नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. 20 अक्टूबर को मोहला मानपुर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ता बिरजू ताराम की हत्या कर दी गई थी. 4 नवंबर को नारायणपुर में नक्सलियों ने भाजपा जिला उपाध्यक्ष रतन दुबे की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी थी. इसके बावजूद मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि ये छिटपुट घटनाएं हैं. 
 
क्या यह बड़ा सवाल नहीं है कि कांग्रेस शासित राज्य में विपक्ष यानी बीजेपी नेताओं को नक्सली निशाना बना रहे हैं? ज्यादातर देखा गया है कि नक्सली और माओवादियों की सोच सरकार के खिलाफ होती है, लेकिन यहां वे विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं. तो क्या यह संभव है कि इन नक्सलियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है और सरकार ही अपने प्रतिद्वंद्वियों को हटाने के लिए नक्सलियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है? क्योंकि राज्य में नक्सलियों द्वारा कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाने की कोई घटना नहीं हुई है. और तो और, मुख्यमंत्री बेशर्मी से नौ महीने में नौ विपक्षी नेताओं की हत्या को एक छोटी घटना बता रहे हैं.
 

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