'ओवैसी बताएं, संविधान में वक्फ कहाँ लिखा है..', AIMIM चीफ को सुप्रीम कोर्ट के वकील ने दी चुनौती ?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने आज सोमवार (5 अगस्त) को AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधते हुए कहा कि ओवैसी हमें बताएं कि संविधान में वक्फ बोर्ड का उल्लेख कहां है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड का अस्तित्व भारतीय संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि, "असदुद्दीन ओवैसी खुद बैरिस्टर हैं, उन्हें हमें बताना चाहिए कि संविधान में वक्फ शब्द का उल्लेख कहां है।" 

अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि, "संविधान में कहीं भी वक्फ शब्द का उल्लेख नहीं है, इसके बावजूद वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है। यह समानता के अधिकार और न्याय के अधिकार के खिलाफ है। यह देश की एकता के खिलाफ है। अगर कोर्ट कहता है कि जमीनों के मामले एक ही जगह चलेंगे, तो मुसलमानों के लिए अलग वक्फ ट्रिब्यूनल कैसे हो सकता है ?" अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि, "हर धर्म के जमीन विवाद का निपटारा जिला अदालत में होता है, लेकिन वक्फ के मामले कोर्ट के बाहर कैसे तय किए गए।" उन्होंने कहा, "वक्फ बोर्ड के पास 10 लाख एकड़ जमीन है, जो दुनिया के 50 देशों के क्षेत्रफल से भी ज्यादा है। यह एक देश में एक कानून के खिलाफ है। वक्फ बोर्ड की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू ने की थी और इसके बाद कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने इसे मजबूत किया। वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडु के एक गांव, 1500 साल पुराने मंदिर और दिल्ली की कई संपत्तियों को अपना बताया है।" 

वरिष्ठ अधिवक्ता ने सवाल किया कि मुसलमानों के लिए अलग बोर्ड क्यों है और हिंदू बोर्ड और जैन बोर्ड, बुद्ध बोर्ड, सिख बोर्ड, यहूदी बोर्ड या पारसी बोर्ड क्यों नहीं है ? धर्म के आधार पर कोई कानून नहीं होना चाहिए, कानून सबके लिए समान होना चाहिए। बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान के सभी निर्माताओं ने कहा है कि धर्म के आधार पर कोई कानून, कार्यक्रम, न्यायाधिकरण और नीतियां नहीं होनी चाहिए। अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि, "मैं वक्फ बोर्ड में संशोधन करने के सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं।''

इससे पहले रविवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि मोदी सरकार बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और इसमें हस्तक्षेप करने का इरादा रखती है। एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, "सबसे पहले, जब संसद सत्र जारी है, तो केंद्र सरकार संसदीय सर्वोच्चता और विशेषाधिकारों के खिलाफ काम कर रही है और मीडिया को सूचित कर रही है और संसद को सूचित नहीं कर रही है। मैं कह सकता हूं कि इस प्रस्तावित संशोधन के बारे में मीडिया में जो कुछ भी लिखा गया है, उससे पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और इसमें हस्तक्षेप करना चाहती है। यह अपने आप में धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।" ओवैसी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि, ये संविधान के खिलाफ है, मोदी सरकार मजहबी आज़ादी को छीनने की कोशिश कर रही है।  

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है, जिससे वक्फ बोर्ड की शक्ति सीमित हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, वक्फ बोर्ड अधिनियम में 32-40 संशोधनों पर विचार किया जा रहा है। वक्फ अधिनियम को पहली बार नेहरू सरकार द्वारा 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद, इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दिए गए। 2013 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे असीमित अधिकार दे दिए। जिसके बाद ये प्रावधान हो गया कि अगर वक्फ किसी संपत्ति पर दावा ठोंक दे, तो पीड़ित अदालत भी नहीं जा सकता, ना ही राज्य और केंद्र सरकारें उसमे दखल दे सकती हैं। पीड़ित को उसी वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाना होगा, जिसने उसकी जमीन हड़पी है, फिर चाहे उसे जमीन वापस मिले या ना मिले। यही कारण है कि बीते कुछ सालों में वक्फ की संपत्ति दोगुनी हो गई है। वक्फ कई जगहों पर दावा ठोंककर उसे अपनी संपत्ति बना ले रहा है और आज देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। रेलवे और सेना के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ के पास है, लेकिन गौर करने वाली बात तो ये है कि, रेलवे और सेना की जमीन के मामले अदालतों में जा सकते हैं, सरकार दखल दे सकती है, लेकिन वक्फ अपने आप में सर्वेसर्वा है। उसमे किसी का दखल नहीं और ना ही उससे जमीन वापस ली जा सकती है।

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