सभी व्यक्ति के मन में सोना धारण करने की इच्छा होती है सोना एक मूल्यवान धातु है जिसका वास्तु शास्त्र से गहरा सम्बन्ध है वास्तु शास्त्र में सोना धारण करने के नियम एवं उसके प्रभावों की जानकारी दी गई है जिसके बारे में आज हम आपको अवगत कराएँगे. स्वास्थ एवं सोना- जो व्यक्ति अपनी अधिक मोटाई से परेशान होते है उन्हें सोना धारण करने से परहेज करना चाहिए तथा जिन व्यक्तिओं का स्वभाव उग्र प्रव्रत्ति का होता है उन व्यक्तियों को भी सोना धारण नहीं करना चाहिए. कमर एवं सोना- जो व्यक्ति कमर में सोना धारण करता है उसे पेट से सम्बंधित कई प्रकार की बिमारियों से जूझना पड़ता है इसलिए कमर में सोना धारण करना हितकर नहीं होता है. सोना एवं ऊर्जा- सोने की प्रकृति गर्म होती है इसलिए यदि सोने की अंगूठी को अपनी कनिष्क ऊँगली में धारण करें तो व्यक्ति सर्दी जुकाम तथा सांस की समस्या से बचा रह सकता है. सोना एवं लोहा- उन व्यक्तियों को सोने से परहेज करना चाहिए जो लोहा कोयला जेसी धातुओं का व्यवसाय या व्यापार करते है इन व्यक्तियों को सोना धारण करने से व्यापारिक हानि का सामना करना पड़ सकता है. वैवाहिक जीवन एवं सोना- जिस व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में सुख शान्ति का आभाव होता है उन व्यक्तिओं को गले में सोने की चेन या फिर हांथ की तर्जनी ऊँगली में अंगूठी धारण करने से उनके वैवाहिक जीवन में खुशाली आती है. सोने का मिलना या गुमना- माना जाता है की सोने का मिलना अथवा गुमना शुभ नहीं होता. यह आपके जीवन में कई प्रकार की समस्या को जन्म देती है जिससे आपका जीवन परेशानियों से घिर जाता है. सोना एवं दान- सोना ब्रहस्पति गृह का कारक माना जाता है इसलिए ज्योतिष में बताया गया है की सोने का दान ब्राम्हण गुरु अथवा पुजारी को करना शुभ होता है इससे आपकी कुंडली में ब्रहस्पति की स्तिथि मजबूत होती है. यदि आप ज्योतिष शास्त्र का अध्यन करेंगे तो इस प्रकार कई जानकारियां प्राप्त कर सकते है.