भोपाल: कोविड की दूसरी लहर के सितम के उपरांत ताबड़तोड़ तरीके से प्रदेश भर के सरकारी हॉस्पिटल्स में केंद्र और प्रदेश गवर्नमेंट की सहायता से आक्सीजन प्लांट लगाए गए। इसके पीछे गवर्नमेंट की मंशा थी कि दूसरी लहर में आक्सीजन के लिए जिस तरह किल्लत आई उसका संभावित तीसरी लहर में सामना न करना पड़े। तकरीबन वर्ष भर के अंदर प्रदेश में 210 आक्सीजन प्लांट लगाए गए। जिनमे 180 के तैयार होने पर एक दिसंबर को ड्राइ रन किया गया तो 52 की परीक्षण की दौड़ में ही सांसें उखड़ने लगी। जहां इस बात का पता चला है कि 32 में तो मरीजों के लिए तैयार की गई आक्सीजन ही शुद्ध नहीं मिल रहा है। शुद्धता का स्तर 93 प्रतिशत से 3 प्रतिशत कम हो सकता है, लेकिन इन आक्सीजन प्लांटों में शुद्धता का स्तर 90 प्रतिशत से कम मिला। अब इन्हें दुरुस्त किया जाने वाला है। अच्छी बात है कि तीसरी लहर ने दस्तक नहीं दी है, वरना उखड़ी सांसों वाले आक्सीजन प्लांटों के भरोसे ही मरीजों के जीवन की उम्मीद कर सकते थे। प्लांट तो लगा दिए पर चलाने वाले कर्मचारी ही नहीं : अबतक मिली जानकारी के अनुसार अस्पतालों में प्लांट लगाने वाली कंपनियों के इंजीनियरों की माने तो प्लांटों में खराबी का अहम् कारण अप्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा प्लांटों का संचालन भी किया जाना जरुरी है। दरअसल प्रदेश में भर में आक्सीजन प्लांटों का मंत्रियों और अफसरों ने शुभारंभ तो किया गया लेकिन विभाग ने इस ओर ध्यान देना ही उचित नहीं समझा कि इन प्लांटों को चलाने के लिए हॉस्पिटल के कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी किया जाना जरुरी है। जब प्लांट लगाए गए तभी कंपनी के इंजीनियर ने संबंधित हॉस्पिटल के कर्मचारी को संचालन का तरीका कहा गया है, जिसके अतिरिक्त अन्य कोई सूचना अब तक नहीं दी गई है। इससे चलते बाद में अधिक दबाव पर प्लांटों का संचालन होने से उनके जियोलाइट फट गए या फिर बाल्व में खराबी देखने को मिली। इससे प्लांट से मानक स्तर पर आक्सीजन तैयार नहीं होने की समस्या खड़ी हो गई। मालूम हो कि मेडिकल कालेज छोड़ कहीं भी बायोमेडिकल इंजीनियर नहीं हैं। सोने का बंगला और हाईफाई लुगाई लेने बुलेट पर निकला युवक, कटा 9 हजार का चालान गाय को बचाने के चक्कर में ड्राइवर ने खोया नियंत्रण हो गया बड़ा हादसा Oil India Limited ने इन पदों पर निकाली बंपर भर्तियां, आज ही करें आवेदन