भुवनेश्वर: पद्म श्री नंदा सर का 104 साल की उम्र में देहांत हो गया। वह कथित रूप से कोरोना से संक्रमित थे तथा उनका एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था। इस बात की खबर उनके पौत्र खगेश्वर प्रूस्टी ने दी। उन्होंने अब तक चटशाली की परंपरा को बरकरार रखा है। चटशाली परंपरा का अर्थ ओडिशा में प्राथमिक शिक्षा के लिए एक गैर-औपचारिक विद्यालय से है। रोजाना प्रातः बच्चे उनके घर के पास एकत्रित होते हैं। इन बच्चों को वृद्ध नंदकिशोर उड़िया के अक्षर एवं गणित सिखाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 102 वर्ष के वृद्ध अपने बचपन में विद्यालय नहीं जा सके थे, मगर वह दूसरे बच्चों को लिखना पढ़ना सिखाते थे, जिससे बच्चे और बड़े अपने हस्ताक्षर करना सीख सकें। वही जोश और जज्बे से भरे बुजुर्ग शाम 6 बजे तक शिक्षा देने का काम करते हैं। उन्होंने पढ़ाने के लिए किसी भी बच्चे से शुल्क नहीं लिया। वह बीते 70 वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं, मगर आज तक उन्होंने इसके लिए एक भी रुपया नहीं लिया। उनका मानना है कि उन्हें बच्चों को पढ़ाना बेहद ही पसंद है। नेस्ले इंडिया को पीएलआई योजना के तहत सरकार की मंजूरी लग्जरी गाड़ी से हो रही थी ड्रग्स की तस्करी, पुलिस ने मार दिया छापा चंबा और कुल्लू जिले में भीषण अग्निकांड, 4 दुकाने जलकर हुई खाक