ज्येष्ठ माह के अधिकमास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी या कमला एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस उपवास को करने से पुत्र प्राप्ति होती है और अंतकाल में व्रतधारी को वैकुण्ठधाम की प्राप्ति होती है.हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं परन्तु जब अधिकमास या मलमास आता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है जो शुक्ल पक्ष में पद्मिनी एकादशी और कृष्ण पक्ष में परमा एकादशी के नाम से जानी जाती हैं.मलमास विष्णु भगवन को समर्पित मास है इसीलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. मलमास में पद्मिनी एकादशी व्रत को करने से अनेक पुण्यों की प्राप्ति होती है. यह व्रत करने से मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है, जो की मनुष्‍यों के लिए भी दुर्लभ है.यह एकादशी करने के लिए व्रती को दशमी के दिन व्रत का आरंभ करते हुए कांसे के पात्र में जौ-चावल आदि का भोजन करना चाहिए तथा नमक नही खाना चाहिए. दशमी को भी पलंग पर नहीं सोना चाहिए बल्कि भूमि पर सोते हुए ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत्त होकर दंतधावन करके और जल के 12 कुल्ले करके शुद्ध होकर स्नान करके श्वेत वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करना चाहिए तथा पद्मिनी एकादशी व्रत वाली रात में भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए भजन- कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करना चाहिए. व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि को भगवान का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराने और दान देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए. पद्मिनी एकादशी 2018 - पुरुषोत्तम मास में होने वाले पद्मिनी एकादशी व्रत की कथा मलमास में कमला एकादशी व्रत क्यों की जाती है शिव की आराधना पद्मिनी एकादशी 2018 - इस वर्ष 25 मई को है पद्मिनी एकादशी