नई दिल्ली: पाकिस्तान की एक कोर्ट ने कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के मामले में भारत से सहयोग करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कोर्ट में पेश होने का मतलब संप्रभुत्ता में छूट नहीं है। अदालत ने मामले की सुनवाई को 15 जून तक के लिए टाल दिया गया है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने बुधवार को पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्रालय की याचिका पर सुनवाई आरंभ की जिसमें जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की मांग की गई है। 'डॉन' में प्रकाशित खबर के अनुसार, अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने अदालत को बताया कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (ICJ) के फैसले का पालन करने के लिए पाकिस्तान ने गत वर्ष सीजे (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 लागू किया ताकि जाधव कानूनी उपाय पा सकें। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार जानबूझ कर कोर्ट की सुनवाई में शामिल नहीं हुई और पाकिस्तान की एक अदालत के समक्ष मुकदमे पर आपत्ति जता रही है तथा उसने आईएचसी की सुनवाई के लिए वकील नियुक्त करने से भी मना करते हुए कहा कि यह ''संप्रभु अधिकारों का आत्मसमर्पण करने के समान है।'' बता दें कि इंडियन नेवी के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (51) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। चुनाव ख़त्म और महंगाई का खेल शुरु, लगातार तीसरे दिन बढे पेट्रोल-डीजल के भाव गूगल हाइब्रिड कार्यस्थल को करेगा टेकओवर कोरोना काल में पेंशनधारियों के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, इन लोगों को मिलेगा सीधा फायदा