नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर पर फैसले लेने के बाद पाकिस्तान बूरी तरह से बौखलाया हुआ है। आए दिन वहां से परमाणु युद्ध की धमकी आती रहती है। लेकिन पाक की आर्थिक सेहत कुछ और कहती है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से लड़खड़ा गई है। कर्ज के बोझ से कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान के लिए में महंगाई, बेरोजगारी, बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी चीजों की बहुत समस्या है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 के अंत तक पाकिस्तान की जीडीपी 254 अरब की थी। इस अवधि में भारत की जीडीपी 28.4 खरब (2.84 ट्रिलियन डॉलर) थी। इसका मतलब भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 11 गुना अधिक है। यदि भारत साल 2019 में सात फीसदी की दर से भी बढ़ता है, तो एक वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 200 अरब और ऊपर पहुंच जाएगा, जो साल 2018 की पाकिस्तान की जीडीपी का 80 फीसद है। वर्तमान में जो जीडीपी पाकिस्तान की है, वो साल 1975 यानी 44 साल पहले भारत की थी। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था औसतन 4.3 फीसदी की दर से बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आकड़ों के अनुसार, साल 2019 और 2020 में पाकिस्तान की जीडीपी में बढ़त दर तीन फीसद से भी कम रह जाएगी। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में चीजों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया भी काफी टूट गया है। इन हालातों में पाक की गीदरभभकी को समझा जा सकता है। सोने के दामों में आज मिली राहत, चांदी बनी रही स्थिर कर्ज से निपटने के लिए अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरकॉम उठा सकती यह कदम जीएसटी कलेक्शन में बीते साल के मुकाबले इस साल अगस्त महीने में हुई बढ़ोतरी