इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सरकार ने अतीत में अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के क्षेत्र में असंख्य वादे किए हैं, लेकिन कभी भी पूरे नहीं किए। इसे इसके चंगुल से पूरी तरह से 'आजादी' देने, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं आदि को विकसित करने का वादा हमेशा एक दिखावे में समाप्त हो गया है। वही पाकिस्तान अब भारत में कश्मीरियों को "आजादी और आत्मनिर्णय" के आदर्श को बेचने की कोशिश में लगा हुआ है, जबकि उसका अपना तथाकथित "आजाद जम्मू-कश्मीर" क्षेत्र घर में सड़कों पर परेड कर रहा है और चिल्ला रहा है, "हमें आजादी चाहिए , पाकिस्तानी सेना वापस जाओ।" यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान की सरकार ने अधिकृत कश्मीर क्षेत्र के मौलिक मानवाधिकारों की अवहेलना की है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का उद्देश्य, जो अभी भी झूठ और छल के जाल के माध्यम से दुनिया का बचाव किया जा रहा है, एक कारण के लिए सहानुभूति जीतना है। शुरुआत से ही, "आजाद कश्मीर" में केवल "आजाद" शब्द ही समाहित है। बाकी यह दुर्भाग्य, उपेक्षा और उत्पीड़न की एक कड़ी है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग, बेरोजगारी और गरीबी का भयानक चक्र यहाँ आम है। पाकिस्तान में 90% आत्महत्याओं के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान के उपनिवेश राज्य को दोषी ठहराया जाता है, जिसे पाकिस्तान की "आत्महत्या की राजधानी" कहा जाता है। पाकिस्तान की आईएसआई ने पीओके के युवाओं को नशीले पदार्थों के दुरूपयोग के चक्रव्यूह में धकेल कर उन्हें निष्प्रभावी करने की रणनीति लागू की है कि वे इसके दुष्ट एजेंडे को विफल कर सकते हैं। 'मुस्लिम सबसे ज्यादा करते हैं गर्भनिरोधक का इस्तेमाल..', जानिए किसने दिया ये बयान ? उपराष्ट्रपति उम्मीदवार नकवी ने ओवैसी को दिया करारा जवाब 2023 में चीनियों से अधिक हो जाएंगे भारतीय, होगा बड़ा जनसँख्या विस्फोट - UN