इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी राष्ट्र बना पाकिस्तान अपनी कट्टरपंथी हरकतों के कारण इन दिनों महंगाई और राजनतिक अस्थिरता की दोहरी मार झेल रहा है। ऐसे में वहां की आवाम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, रमजान का माह आरम्भ हो चुका है और पाकिस्तान में जारी महंगाई के कारण लोगों की समस्या बढ़ गई है। पड़ोसी मुल्क में स्थिति यह है कि 500 रुपये प्रति दर्जन केले की दर से बिक रहे हैं। अंगूर 1600 रुपए किलो पहुंच चुके हैं। वहीं, रोज़े में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले खजूर 1000 रुपए किलो हैं। 2022 की तुलना में राशन से लेकर फलों की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। बता दें कि, पाकिस्तान में रमजान के दौरान महंगाई केवल किसी एक शहर तक सीमित नहीं है। कराची, रावलपिंडी, इस्लामाबाद और लाहौर जैसे बड़े शहरों में महंगाई आसमान छु रही है। दुकानदारों ने शिकायत की है कि पिछले त्योहार के मुकाबले इस बार खरीददारी बहुत कम है। महंगाई के कारण लोग सामान कम खरीद रहे हैं। बता दें कि, पाकिस्तानी सरकार इस समय भारी आर्थिक संकट से जूझ रही है। उसे अभी तक IMF ने भी कर्ज नहीं दिया है। दूसरी तरफ, शहबाज सरकार लोगों पर टैक्सों का बोझ बढ़ाती जा रही है। इसके अलावा महंगाई से भी लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। राशन से लेकर फलों की कीमतें भी चरम पर हैं। पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर 50 वर्षों के उच्च स्तर 31.5 फीसद पर पहुंच गई है। रमजान पर महंगाई की स्थिति यह है कि सब कुछ महंगा हो गया है। कराची के स्थानीय व्यवसायी मुहम्मद इशाक बताते हैं कि, 'सब कुछ महंगा हो गया है और खजूर के दाम भी बढ़ गए हैं। मैंने गत वर्ष 350 रुपये ($ 1.24) के लिए जो खरीदा था, वह 1000 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है।' गिड़गिड़ाता रह गया पाकिस्तान, युद्धग्रस्त यूक्रेन के लिए IMF ने कर दिया बड़ा ऐलान सिलिकॉन वैली बैंक की खरीद के लिए पहले नागरिक बैंक ने किया समझौता हौथि विद्रोहियों ने यमन में सैन्य अभियान तेज किया