इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आम चुनावों के बाद अब राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. आम चुनावों में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद 18 अगस्त को पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है. साथ ही उन्होंने 4 सितम्बर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी पार्टी से उमीदवार भी घोषित कर दिया है, पीटीआई से डॉ. आरिफ अल्वी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पेश करेंगे. तीन देशों ने सीरिया के राष्ट्रपति को चेतावनी दी, अगर दोबारा रसानियक हमला किया तो खैर नहीं वहीं दूसरी ओर आम चुनावों की हार से सबक लेकर पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) ने राष्ट्रपति चुनाव में इमरान के खिलाफ एक जुट होने के संकेत दिए हैं. इस संबंध में, पीएमएल-एन अध्यक्ष शाहबाज़ शरीफ की अध्यक्षता में 25 अगस्त को मुरी में एक अखिल-पार्टी सम्मेलन होने वाला है. सूत्रों ने बताया है कि पीपीपी नेताओं ने जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान से मुलाकात के बाद आम सहमति प्राप्त की और राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार को मैदान में उतारने के संकेत दिए हैं. जानिए, इस मशीनी युग में किस देश के पास कितने रोबोट कर्मचारी आपको बता दें कि देश में 1973 में लागू संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के पास बहुत अधिक शक्तियाँ तो नहीं थीं लेकिन जनरल जिया उल हक़ और परवेज़ मुशर्रफ़ जैसे सैन्य शासकों ने नेताओं पर नियंत्रण के लिए संशोधन कर बहुत से अधिकार अपने पास रखे. पाकिस्तान का राष्ट्रपति, पाकिस्तानी सेना का सैन्याध्यक्ष भी होता है. उनके पास एक सेना से जुड़े तमाम अधिकार होते हैं, जैसे सेना के प्रमुखों की नियुक्ति, नेशनल और प्रांतीय असेंबलियों को भंग करने का अधिकार. हालाँकि, अगर राष्ट्रपति सेना के किसी महत्वपूर्ण पद पर कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री से पहले विचार-विमर्श करना होगा. अब अगर भुट्टो और नवाज़ मिलकर इमरान की पार्टी के खिलाफ कोई उम्मीदवार उतारते हैं, तो पाकिस्तानी सियासत में बड़ा बदलाव हो सकता है. खबरें और भी:- जब सड़क पर सोने आ गए लोग, ऐसा रहा नज़ारा चाँद पर मौजूद है बर्फ, नासा ने की पुष्टि चीन का साथ देने से मलेशिया का इंकार, रद्द की अरबों की परियोजना