जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को किया था अमेरिका से मदद मांगने के लिए मजबूर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर एक दिलचस्प जानकारी सामने आई है। दरअसल इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के तौर पर जानी जाती हैं उतनी ही अधिक कुशल प्रशासक के तौर पर भी पहचानी जाती हैं। इतना ही नहीं उनके प्रधानमंत्री रहते हुए भारत ने कई महत्वपूर्ण मसलों और विदेश नीति के तौर पर कई आवश्यक निर्णय लिए थे। इस बात की बानगी सीआईए की एक रिपोर्ट से ही मिल जाती है।

दरअसल सीआईए के सार्वजनिक रिपोर्ट मेें कहा गया है कि इंदिरा गांधी यह चाहती थीं कि ऐसा एक क्षेत्रीय समूह निर्मित हो जो कि सोवियत को अफगानिस्तान में उसकी गतिविधियां सीमित करने के लिए दबाव डलवा सके। इतना ही नहीं इंदिरा गांधी चाहती थी कि पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक वर्ष 1980 में भारत द्वारा तैयार की गई क्षेत्रीय रणनीति का भाग बनें। दरअसल इंदिरा गांधी अफगानिस्तान में सोवियत संघ के आक्रमण से परेशान थीं।

उनका प्रयास था कि सोवियत अपने आप को सीमित रखे। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत पर दबाव बनाया जा सकता था। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने उस समय यह माना था कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर जो तनाव उभरा है उसका भारत लाभ ले सकता है और फिर पाकिस्तान के परमाणु संस्थानों पर हमला भी कर सकता है। दरअसल पाकिस्तान सोवियत व भारत में या फिर संयुक्त संभावित प्रयासों के चलते आशंकित था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को सोवियत संघ के आक्रमण के बाद क्षेत्रीय सहयोग के लिए मना लिया गया था। हालांकि जब पाकिस्तान ने अमेरिका को इस मामले मेें जानकारी दी तो अमेरिका ने उसे सोवियत संघ के खिलाफ हथियार देने की पेशकश की और पाकिस्तान इस बात पर राजी हो गया लेकिन भारत ने इस दौरान यह माना कि हिंद महासागर मेें अमेरिकी नौसेना पाकिस्तान को हथियार देकर सुपर पाॅवर प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है।

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