माँ कामाख्या की शरण में पहुंचे पंडित धीरेन्द्र, हिन्दुओं को एक करने को निकालेंगे पदयात्रा

कामरूप: पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें ‘बाबा बागेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है, ने असम में हिन्दुओं की एकता को बढ़ावा देने का संदेश देते हुए नारे "बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे" का समर्थन किया है। यह नारा पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया था, और अब धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने इसे आगे बढ़ाते हुए अपनी स्वीकृति जताई है। उनका यह संदेश देश में हिन्दू समाज में एकता और भाईचारे को मजबूत करने के उद्देश्य से है।

शनिवार, 2 नवंबर 2024 को पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने असम के प्रसिद्ध माँ कामाख्या देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की। कामाख्या देवी मंदिर, जो तंत्र साधना और भक्तिभाव से जुड़े अनेक भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है, वहां दर्शन के बाद उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए और असम के लोगों को हिन्दू एकता के महत्व पर जोर देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं को एकजुट रहना चाहिए, क्योंकि केवल एकता में ही समाज की शक्ति और समृद्धि निहित है।

इसके अलावा, उन्होंने असम में एक पदयात्रा करने की भी इच्छा जताई है। यह प्रस्तावित पदयात्रा राज्य में जनसांख्यिकीय बदलावों से उत्पन्न हो रही चुनौतियों और धर्मांतरण के बढ़ते मामलों का सामना करने के लिए होगी। उन्होंने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि हिन्दू बच्चों और युवाओं में धर्म के प्रति जागरूकता और चेतना की कमी है। उनका मानना है कि समाज के युवाओं को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति अधिक सचेत करने की जरूरत है, ताकि उनकी आस्था और पहचान मजबूत हो सके।

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की भी तारीफ की। उन्होंने सरमा के सनातन धर्म और हिन्दू संस्कृति को बचाने और बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा किए गए कार्यों को उल्लेखनीय बताते हुए कहा कि ऐसे नेताओं का समर्थन और योगदान समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है।

साथ ही, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने हिन्दू समाज में धर्मांतरण के मुद्दे पर भी गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ, कई बाहरी शक्तियाँ हिन्दू धर्म से लोगों को दूर करने की कोशिश कर रही हैं। इसके खिलाफ जागरूकता और एकजुटता जरूरी है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे अपने धर्म और संस्कृति को सहेजें और एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करें।

इस प्रकार, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने असम में हिन्दुओं की एकता पर जोर देते हुए सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देने का संदेश दिया और राज्य के प्रमुख मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट की।

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