आप सभी को बता दें कि आज यानी शनिवार 20 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल ग्यारस पर पापांकुशा एकादशी मनाई जा रही है. ऐसे में इस दिन विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप के पूजन का विधान है. वहीं शास्त्र के अनुसार पापांकुशा एकादशी हजार अश्वमेघ व सौ सूर्य यज्ञ के बराबर फल देती है. कहते हैं पाप रूपी हाथी को पुण्यरूपी अंकुश से वेधने के कारण ही इसे पापांकुशा कहते हैं. इसी के साथ श्री कृष्ण ने पद्म व ब्रह्मवैवर्त पुराण में इसका वर्णन किया है और उसी के अनुसार पापांकुशा स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्यता, सुंदर जीवनसाथी व अन्न-धन देने वाली होती है. कहा जाता है यह गंगा, गया, काशी, कुरुक्षेत्र व पुष्कर जैसी पुण्यवान होती हैं और इसके प्रताप से सहज ही विष्णु पद प्राप्त होता है। दस-दस पीढ़ी मातृ पितृ स्त्री व मित्र पक्ष का उद्धार हो जाता है. कहा जाता है इस दिन जो व्यक्ति सोना, तिल, गाय, अन्न, जल, छाता व जूते दान कर देता है वो रोगों से बचकर स्वस्थ शरीर में जीवन बसर करता है. आइए जानते हैं पूजन विधि. पूजन विधि : आज घर की उत्तर-पूर्व दिशा में सफ़ेद कपड़े पर शेष शैया पर सोए विष्णु का वो चित्र रखें जिसमें से उनके नाभि से कमल उदय हो रहा हो और इसके बाद पीतल का कलश स्थापित कर दें. अब कलश में जल, दूध, सुपारी, तिल व सिक्के डालें, कलश के मुख पर पीपल के पत्ते रख कर उस पर नारियल रखें तथा विधिवत पूजन कर लेवें और तिल के तेल का दीप करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, चंदन चढ़ाएं, नीले फूल चढ़ाएं, काली मिर्च युक्त बादाम की खीर का भोग लगाएं व 11 केलों का भोग लगाएं तथा तुलसी की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र का जाप करें और पूजन के उपरांत खीर प्रसाद स्वरूप बांटे. स्पेशल पूजन मंत्र: ॐ पद्मगर्भाय नमः मध्यान मुहूर्त: दिन 11:43 से दिन 12:28 तक. रात्रि पूजन मुहूर्त: रात 20:01 से रात 21:03 तक. 20 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी, जानिए पौराणिक कथा