मध्यप्रदेश: जबलपुर की लोकायुक्त स्पेशल कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी इंजीनियर के पिता द्वारा 22 साल पहले किये गए भ्रष्टाचार के आरोप में दोनों बेटो को भागीदार मानकर 4-4 साल की सजा सुनाई है, साथ ही 30-30 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने अपना पक्ष रखते हुए यह दलील दी कि 22 नवंबर 1995 को लोकायुक्त टीम ने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी अधीक्षण यंत्री जीपी पाठक के सागर स्थिति ऑफिस, और जबलपुर स्थित निवास पर, एक साथ छापा मारा था, जहाँ अर्जित स्रोतों से 60 लाख रुपए से अधिक संपत्ति जब्त हुई थी. इसी आधार पर विशेष न्यायाधीश अक्षय कुमार द्विवेदी की अदालत में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्रकरण कायम किया गया. 2011 में ट्रायल के दौरान भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी अधीक्षण यंत्री जीपी पाठक की मृत्यु हो गई थी. सुनवाई के दौरान लोकायुक्त की स्पेशल कोर्ट ने पाया कि छापे के दौरान उनके दोनों बेटे बालिग हैं और भ्रष्टाचार के पीछे दुष्पे्ररण के आधार पर सहअभियुक्त की श्रेणी में आते हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति का पूरा लाभ लिया, इसीलिए उन्हें पिता के देहांत के बाद इस सजा का भागीदार माना जाता है. शराबी जेल अधीक्षक ने की ,रिश्वत की पेशकश यमुना में पलटी नाव, हादसे से आक्रोशितों ने किया पथराव हत्या के मामले में, रियाज सिद्दीकी को आजीवन कारावास