“बेटे का जूता जब बाप के पैर में आने लगे, तो समझ लो लड़का बड़ा हो गया है।” यह कहावत अक्सर सुनने को मिलती है, जो बताती है कि बच्चों के बड़े होने पर उन्हें केवल बच्चे नहीं, बल्कि एक दोस्त की तरह समझना चाहिए। लेकिन क्या सच में माता-पिता को अपने बच्चों का दोस्त बनना चाहिए? क्या इससे बच्चों में डर खत्म हो जाएगा और वे सही रास्ते पर चलेंगे? आइए, जानें कि ‘फ्रेंडली पेरेंटिंग’ के क्या फायदे हैं और इसे अपनाने के सही तरीके क्या हैं। फ्रेंडली पेरेंटिंग के फायदे 1. खुलकर बातें होती हैं जब माता-पिता बच्चों से दोस्ताना व्यवहार करते हैं, तो बच्चे अपनी समस्याओं, भावनाओं और विचारों को आसानी से साझा कर पाते हैं। बच्चों को उनके दोस्तों से बात करते हुए आप ने देखा होगा कि वे कितने खुलकर बात करते हैं। इसी तरह, यदि आप भी दोस्त की तरह पेश आएंगे, तो बच्चे आपके साथ भी खुलकर बातें करेंगे। 2. ट्रस्ट बनता है फ्रेंडली पेरेंटिंग से बच्चों के मन में आपके प्रति भरोसा बढ़ता है। बच्चे आपसे ऐसे मुद्दे साझा कर सकते हैं, जिन पर वे शायद ‘डिसिप्लिन सिखाने वाले’ माता-पिता से बात न करें। इस विश्वास के कारण, वे आपकी सलाह को गंभीरता से सुनेंगे और अपनाएंगे। 3. सकारात्मक मार्गदर्शन जब आप बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हैं, तो आप उनकी समस्याओं और विचारों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। इससे आपको उन्हें सही और गलत का फर्क समझाने में मदद मिलती है। आपका रिश्ता भी इससे मजबूत होता है और बच्चे आपकी बातों को गंभीरता से लेते हैं। फ्रेंडली पेरेंट्स बनने के तरीके 1. ध्यान से सुनें अपने बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें। इससे उन्हें लगेगा कि आप उनकी समस्याओं और विचारों को महत्व देते हैं। 2. जजमेंटल न हों बच्चों की भावनाओं और विचारों को बिना जज किए स्वीकार करें। इससे बच्चे खुलकर अपनी बातें शेयर कर पाएंगे और आपसे न डरेंगे। 3. सकारात्मक संवाद करें बच्चों के साथ सकारात्मक और प्रोत्साहन देने वाले संवाद करें। यह उन्हें अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और आपके बीच अच्छा रिश्ता बनाए रखेगा। 4. मिलजुल कर समय बिताएं बच्चों के साथ समय बिताएं, उनके खेल में शामिल हों और उनकी गतिविधियों में भाग लें। इससे आप दोनों के बीच की दूरी कम होगी और एक मजबूत दोस्ती बनेगी। 5. विश्वास बनाए रखें बच्चों का विश्वास जीतें और उन्हें यह एहसास कराएं कि वे आपसे किसी भी बात पर चर्चा कर सकते हैं। जब बच्चे आपके प्रति विश्वास करेंगे, तो वे अपनी समस्याओं और सवालों को आपके साथ साझा करेंगे। फ्रेंडली पेरेंटिंग से आप बच्चों के साथ एक बेहतर रिश्ता बना सकते हैं और उन्हें एक सुरक्षित और खुला वातावरण प्रदान कर सकते हैं। इससे न सिर्फ बच्चों को खुद को व्यक्त करने का मौका मिलेगा, बल्कि आपके साथ उनके रिश्ते में भी सुधार आएगा। 'मैं यंग लड़की थी, जो अकेले रह रही थी…', महेश भट्ट संग अफेयर की खबरों पर बोलीं आशिकी गर्ल रातों रात मिला इस एक्ट्रेस को फेम...फिर एक एक्सीडेंट ने बिगाड़ दिया सब कुछ संजय दत्त को एक और झटका, इस फिल्म से कटा एक्टर का पत्ता