दिल्ली: 18 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि ये हंगामों की भेंट चढ़ने के बजाय काम करने में उपयोग किया जाये. इस सत्र कि सबसे बड़ी चुनौती है कुछ विधेयक जो पिछले सत्र में सिर्फ हंगामों के चलते पारित नहीं किये जा सके. सत्र 18 दिन का होगा और 50 से ज्यादा विधेयक के साथ 6 अध्यादेश इसकी प्राथमिकता है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने सत्र की तारीखों का ऐलान करते वक्त कहा कि सत्र के दौरान सरकार तीन तलाक और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित समेत विधेयकों को लाने पर जोर दे सकती है. उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा में 68 और राज्यसभा में 40 बिल लंबित हैं. 6 अध्यादेश जो सरकार की प्राथमिकता रहेंगे- 1. भगोड़ा आपराधिक अध्यादेश 2018 इस कानून के तहत अपराध कर देश से भागे व्यक्तियों की संपत्ति उन पर मुकदमे का निर्णय आए बिना जब्त करने और उसे बेच कर कर्ज देने वालों का पैसा वापस करने का प्रावधान है. 2. वाणिज्यिक अदालत से जुड़ा अध्यादेश केंद्र सरकार कारोबारी सुगमता के लिए रैंकिंग और अधिक सुधार की कोशिश के तहत व्यावसायिक विवादों को तेजी से निपटाने के लिए मई माह में कानून में संशोधन के लिये एक अध्यादेश लेकर आयी थी. इसे अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है. 3. आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 कैबिनेट और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद रेप के कानून को और सख्त बनाते हुए 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी को फांसी देने संबंधी अध्यादेश संसद से पारित किया जाना है. 4. होम्योपैथिक केन्द्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश 2018 केंद्र सरकार की ओर से 18 मई को यह अध्यादेश लाया गया था. इसमें होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल कानून 1973 को संशोधित किया गया है. कानून के तहत फिर से इस काउंसिल का गठन करने का प्रावधान है. 5. राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश 2018 6. दिवालियापन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2018 मप्र के किसान, नौजवान और महिला कांग्रेस का चेहरा- कमलनाथ मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुनील राठी का कुबूलनामा ताज़ में नमाज़ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला