नई दिल्लीः देश की संसद और राज्य की विधानसभाओं में शोर-शराबा और हंगामा आम बात हो गई है। दल अथवा सदस्य छोटी-मोटी बातों पर भी सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने लगते हैं। अब इस पर विराम लगाने के लिए एक विधायी आचार संहिता बनाई जाएगी। आचार संहिता तैयार करने के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने राज्य विधानसभा अध्यक्षों की एक समिति बनाने का फैसला किया है। स्पीकर ने साफ कहा है कि नारेबाजी करते हुए वेल में आना और हंगामा खड़ा करना अभिव्यक्ति का तरीका नहीं है। लोस अध्यक्ष ने भारतीय संसदीय संघ की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि बेशक विपक्ष के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन नारेबाजी करना या वेल में आकर प्लेकार्ड दिखाते हुए हंगामा करना अभिव्यक्ति नहीं है। इससे सदन बाधित होता है और इसीलिए विधानसभा अध्यक्षों व विधान परिषद के सभापतियों के साथ बुधवार को हुई बैठक में आचार संहिता बनाने पर आम सहमति बनी। स्पीकर ने कहा कि विधानसभा अध्यक्षों की इसके लिए बनी समिति नवंबर में अपनी रिपोर्ट देहरादून के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में देगी और वहां आचार संहिता के बारे में इसी आधार पर फैसला लिया जाएगा। लोस अध्यक्ष ने बताया कि सरकारी धन के बेहतर और प्रभावशाली उपयोग के लिए एक्शन टेकेन रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके लिए भी पीठासीन अधिकारियों की एक समिति गठित की जा रही है। उन्होंने कहा कि अधिकांश विधानसभा अध्यक्षों का मत था कि संसद ही नहीं विधानसभा सत्र भी ज्यादा दिन चले और सार्थक हो। एटीआर इसका रास्ता सुझाएगी और इसकी रिपोर्ट भी देहरादून सम्मेलन में रखी जाएगी। साल भर में 7 बार की गई लालू यादव की सर्जरी, लेकिन फिर भी नहीं मिल रही राहत पीएम मोदी को लेकर फिर बदले 'शत्रु' के सुर, ट्विटर पर कही ये बात केंद्र ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दों की निगरानी के लिए जीओएम का किया गठन