नई दिल्ली : सोमवार से शुरु हुए संसद के मानसून सत्र में सबसे पहले कश्मीर में जारी हिंसा पर चर्चा की गई। राज्यसभा में कांग्रेस ने सरकार को घेरा। कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कश्मीर में हालात बदतर है, ऐसे हालात 1990 के दशक में भी नहीं थे। उन्होने कहा कि हम आतंक पर सरकार के साथ है, लेकिन कश्मीर में आम लोगों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। आजाद ने इस बात पर भी सवाल खड़े किए कि घाटी में ज्यादा फोर्सेज क्यों यूज किए जा रहे है। इसकी भी जांच की जानी चाहिए। उन्होने कहा कि अब भी 10 जिले इससे प्रभावित है, ये पीडीपी-बीजेपी गठबंधन का नतीजा है। इस पर वित मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि हम अपेक्षा करते है कि हम आपसी मतभेद से ऊपर उठे। केवल यह सोच लेना कि ये पीडीपी-बीजेपी गठबंधन है, बनी हुई सरकार को बिगाड़ना है। अस्थिरता पैदा करना है। ऐसी छुटपुट घटनाएं देखने को मिलती हैं। अलगाववादियों का जो आंदोलन था। ये भी विश्व की बदलती धारा के साथ प्रभावित हुआ था। घटना मूल ये थी कि 8 जुलाई को कुछ आतंकवादियों का एनकाउंटर होता है। पुलिस को भी नुकसान पहुंचता है। यह आतंकी नौजवानों को गुमराह करता था और उकसाता था। यह किसी मंत्री या सरकार के बयान का विरोध नहीं था। ये विरोध उस व्यक्ति के लिए था, जिसे वो लोग हीरो मानते थे, जब कि वो आतंकी था। जेटली ने कहा कि जब विरोध होगा, हिंसा होगी और चौकी-थाने फूंके जाने लगेंगे तो फिर कार्रवाई तो होगी। कोई भी देश ये नहीं देख सकता। कितना बल प्रयोग होना चाहिए इसकी जिम्मेदारी वहां जंग लड़ रही फौज और पुलिस की होती है। हमारी लड़ाई अलगाववादियों से है, उसमें जम्मू-कश्मीर की अवाम देश के साथ खड़ी रहती है तो वो हित में है। उनकी भावना को ठेस पहुंचना हमारे हित में नहीं है। ये विषय राजनीति का नहीं है। कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हम जीएसटी के मामले में सरकार की ओर से एक कांक्रीट ड्राफ्ट प्रपोजल चाहते है। उन्होने कहा कि कांग्रेस जन, देश और विकास के हित में किसी भी बिल का समर्थन करेगी। सरकार को इस सेशन में 16 बिल पास करवाने है। जिसमें कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2015, बेनामी ट्रांजेक्शन अमेंडमेंट बिल 2015, लोकपाले एंड लोकायुक्त और अदर रिलेटेड लॉ भी शामिल है।