परशुराम जन्मोत्सव का पर्व इस साल 3 मई को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं वो किस्सा जिसे जानने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे। जी दरअसल परशुराम जी अपने माता-पिता के बहुत आज्ञाकारी पुत्र थे लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी माँ की हत्या कर दी थी। सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सत्य है। अब आप सोच रहे होंगे क्यों, तो हम आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं। जी दरअसल कहा जाता है परशुराम जी की मां रेणुका जल का कलश लेकर नदी गईं थीं। उन्हें वहां से कलश में जल भरकर लौटना था। वहीँ नदी में गंधर्व चित्ररथ अप्सराओं के साथ जलक्रीड़ा कर रहा था और उसे देखने में रेणुका इतनी तल्लीन हो गईं कि उन्हें जल लेकर लौटने में देर हो गई। वहीँ दूसरी तरफ उनके पति ऋषि जमदग्नि यज्ञ के लिए बैठे थे और देर होने से वो यज्ञ नहीं कर पाए। इस दौरान परशुराम जी के पिता गुस्से से लाल-पीले हो रहे थे कि तभी रेणुका जल लेकर लौट आईं। वहीँ उनके आते ही ऋषि जमदग्नि क्रोध में दहाड़े और उन्होंने अपने चार पुत्रों से तुरंत उनकी मां का वध करने को कहा। इस दौरान तीनों बेटों ने ये बात सुनी और वो सिर झुकाकर खड़े हो गए। लेकिन परशुराम जी ने ऐसा नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपना फरसा उठाया और एक ही वार में मां का सिर धड़ से अलग कर दिया। वहीँ परशुराम जी के ऐसा करते ही हर कोई स्तब्ध रह गया। उनके पिता को उम्मीद नहीं थी कि परशुराम उनकी आज्ञा मानने के लिए यहां तक जा सकते हैं। इस दौरान एक तरफ वो अपनी पत्नी की हत्या से दुखी थे तो दूसरी ओर ये देखकर खुश कि उनका ये बेटा उनकी कितनी बात मानता है। जी हाँ और उसके बाद उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को को कहा। ऐसे में परशुराम ने तुरंत पिता से चार वरदान मांगे। उन्होंने माँगा मां फिर से जिंदा हो जाएं और उन्हें ये याद ही नहीं रहे कि उनकी हत्या की गई थी। इसके अलावा उन्होंने माँगा उनके सभी भाई भी स्तब्ध अवस्था से सामान्य स्थिति में लौट आएं। जी हाँ और इन वरदानों के साथ पिता ऋषि जमदग्नि ने उन्हें अमर रहने का वरदान भी दिया था। क्या आप जानते हैं अक्षय तृतीया के दिन घटने वाली 10 पौराणिक घटनाएं आखिर क्यों शगुन के लिफाफे में देते हैं 1 रुपए का सिक्का? 3 मई को है परशुराम जयंती, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि