जैन समाज का सबसे पावन त्योहार पर्युषण पर्व आज से यानी सोमवार से शुरू हो गया. ये जैन धर्म के लोगों का खास पर्व होता है. श्वेताम्बर जैन इस पर्व को अगले 8 दिनों तक मनाते हैं जिसमें व्रत भी करते हैं और अलग-अलग नियमों का पालन भी करना होता है. वहीं दिगम्बर समुदाय के जैन धर्मावलंबी 10 दिनों तक इस पावन व्रत का पालन करेंगे. पर्युषण पर्व को जैन समाज में सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, इसलिए इसे पर्वाधिराज भी कहते हैं. भादो महीने में मनाए जाने वाले इस पर्व के दौरान धर्मावलंबी जैन धर्म के पांच सिद्धांतों- अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (आवश्यकता से अधिक धन जमा न करना) व्रत का पालन करते हैं. आपको बता दें, पर्युषण का सामान्य अर्थ है मन के सभी विकारों का शमन करना. यानी अपने मन में उठने वाले हर तरह के बुरे विचार को इस पर्व के दौरान समाप्त करने का व्रत ही पर्युषण महापर्व (Paryushan Parv 2019) है. जैन धर्मावलंबी इस पर्व के दौरान मन के सभी विकारों- क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या और वैमनस्य से मुक्ति पाने का मार्ग तलाश करते हैं. साथ ही इन विकारों पर विजय पाकर शांति और पवित्रता की तरफ खुद को ले जाने का उपाय ढूंढते हैं. भाद्रपद यानी भादो मास की पंचमी तिथि को शुरू होने वाला यह पर्व अनंत चतुर्दशी की तिथि तक मनाया जाता है. इस पर्व को मनाने वाले अनुयायी भगवान महावीर के बताए 10 नियमों का पालन कर पर्युषण पर्व मनाते हैं. पर्युषण पर्व को बरसात के मौसम में ही मनाने के पीछे जैन धर्म की व्यावहारिक सोच का पता चलता है. इस पर्व का मूल आधार चातुर्मासिक प्रवास है. चातुर्मास, यानी बरसात के मौसम के चार महीने. इन दिनों में धरती पर वर्षा की वजह से हरियाली बढ़ जाती है. छोटे-बड़े कई प्रकार के जीव-जंतु पैदा हो जाते हैं. साथ ही रास्तों पर कीचड़ या पानी जमा होने के कारण, मार्ग चलने योग्य नहीं होता. इसी को ध्यान रखते हुए जैन मुनियों ने ये बताया है कि इन महीनों में धर्मावलंबियों को एक ही स्थान पर रहकर भगवत् आराधना करनी चाहिए. पर्व के दौरान अनुयायी करते हैं ये प्रमुख काम – पर्युषण पर्व के दौरान सभी श्रद्धालु धर्म ग्रंथों का पाठ करते हैं. इससे संबंधित प्रवचन सुनते हैं. – पर्व के दौरान कई श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं. पुण्य लाभ के लिए दान देना भी इसका एक अंग है. – मंदिरों या जिनालयों की विशेष सफाई की जाती है और उन्हें सजाया जाता है. – पर्युषण पर्व के दौरान रथयात्रा या शोभायात्राएं निकाली जाती हैं. – मंदिरों, जिनालयों या सार्वजनिक स्थानों पर इस दौरान सामुदायिक भोज का आयोजन किया जाता है. जैन धर्म में अलग है रक्षाबंधन का महत्व, जानें कथा