दिगंबर जैन समाज और श्वेताम्बर जैन समाज में में पयुर्षण पर्व शुरू हो चुके हैं. दोनों के लिए ये पर्व अलग अलग दिनों के लिए होते हैं. यानि दिगम्बर जैन समाज के लिए ये पर्व दशलक्षण यानि 10 दिन का होता वहीं श्वेताम्बर जैन समाज के लिए ये पर्व 8 दिनों का होता है. दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे दिन उत्तम सत्य, पांचवें दिन उत्तम शौच, छठे दिन उत्तम संयम, सातवें दिन उत्तम तप, आठवें दिन उत्तम त्याग, नौवें दिन उत्तम आकिंचन तथा दसवें दिन ब्रह्मचर्य तथा अंतिम दिन क्षमावाणी के रूप में मनाया जाएगा। दशलक्षण पर्व के दौरान जिनालयों में धर्म प्रभावना की जाएगी। इसी पर्व पर करें भगवान की ये आरती. महावीर स्वामी की आरती जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो। कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥ ॥ ॐ जय.....॥ सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी। बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ॥ ॐ जय.....॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी। माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय.....॥ जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो। हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो ॥ ॐ जय.....॥ इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ। ग्वाल मनोरथ पूर्‌यो दूध गाय पायौ ॥ ॐ जय.....॥ प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना। मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय.....॥ जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी। एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय.....॥ जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै। होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावै ॥ ॐ जय.....॥ निशि दिन प्रभु मन्दिर में, जगमग ज्योति जरै। हरि प्रसाद चरणों में, आनन्द मोद भरै ॥ ॐ जय.....॥ पर्युषण के दशलक्षण पर्व में खास होते हैं ये 10 अंग.. पर्युषण पर्व : क्रोध-लोभ और मोह से मुक्ति पाने का मार्ग है पर्युषण