नई दिल्ली : कहते हैं जब समय खराब हो तो विपत्ति सब तरफ से आती है. बिहार में बीजेपी की मदद से फिर बिहार के मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार से मुंह की खाने वाले लालू यादव ने इस मामले को कोर्ट में घसीटने की नीयत से पटना हाई कोर्ट में अपने समर्थक से याचिका दाखिल करवाई,लेकिन अफसोस कोर्ट ने उक्त याचिका यह कहकर ख़ारिज कर दी कि बहुमत साबित हो चुका है अब हस्तक्षेप नहीं कर सकते. कोर्ट के इस फैसले से लालू के मंसूबों पर पानी फिर गया. उल्लेखनीय है कि बिहार में सरकार के गठन के खिलाफ कोर्ट में पहली याचिका बड़हरा के राजद विधायक सरोज यादव और अन्य ने दायर की थी, जबकि दूसरी याचिका नौबतपुर के सपा नेता जितेन्द्र कुमार ने दायर की थी. नीतीश सरकार ने 27 जुलाई को शपथ ग्रहण की थी . लेकिन पटना हाई कोर्ट ने उक्त याचिकाएं यह कहकर ख़ारिज कर दी कि बहुमत साबित होने के बाद अब इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता . बता दें कि राजद को यकीन था कि बिहार में सबसे बड़े दल को न्योता नहीं देकर राज्यपाल ने गलती की . उन्होंने इसी मुख्य आधार पर राज्यपाल के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि सबसे ज्यादा विधायक आरजेडी के होने के कारण पहले आरजेडी को सरकार बनाने का न्योता दिया जाना चाहिए था, लेकिन नियमों से परे जाकर नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया. इस तरह कोर्ट में भी लालू को हार का सामना करना पड़ा. यह भी देखें लालू ने फिर बोला नितीश पर हमला, 2019 में मजबूती से उभरेगा महागठबंधन जनता ने बिहार में काम करने के लिए वोट दिया, किसी एक परिवार की सेवा के लिए नहीं