हिन्दू धर्मशास्त्रों में पवनसुत हनुमान को राम भक्त के तौर पर जाना तथा पूजा जाता है। ऐसी प्रथा है कि हनुमान जी जीवन भर ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए भगवान श्रीराम की सेवा करते रहे। किन्तु वहीं कुछ पौराणिक शास्त्रों में हनुमान जी के विवाहित होने की बात बताई गई है। यहां तक की आंध्रप्रदेश में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है जहां पर हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की भी प्रतिमा स्थापित की गई है। आंध्रप्रदेश का यह मंदिर हनुमान जी की शादी के गवाह का एकमात्र मंदिर माना जाता है। आइए जानते हैं हनुमान जी की तीन शादियों के बारे में- सूर्य की पुत्री सुवर्चला के साथ शादी: सूर्य की बेटी सुवर्चला तथा हनुमान जी की शादी का उल्लेख पराशर संहिता में मिलता है। पराशर संहिता में उल्लेख किया गया है कि हनुमान जी सूर्य भगवान के शिष्य थे। सूर्य देवता हनुमान जी को नौ विद्याओं का ज्ञान देना चाहते थे। इन नौ विद्याओं में से पांच विद्याएं तो हनुमान जी ने सीख लीं किन्तु शेष विद्याओं को सीखने के लिए विवाहित होना आवश्यक था। इसी अनिवार्यता के कारण सूर्य भगवान ने अपनी बेटी की शादी हनुमान जी के साथ कर दी। हनुमान जी से शादी होने के पश्चात् सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गईं। रावण की दुहिता अनंगकुसुमा के साथ शादी: हनुमान जी के दूसरी शादी का उल्लेख पउम चरित से मिलता है। पउम चरित के मुताबिक, रावण और वरुण देव के मध्य हुए युद्ध में हनुमान जी वरुण देव की ओर से रावण से युद्ध किया था जिसके परिणामस्वरूप इस युद्ध में रावण की पराजय हुई थी। युद्ध में हारने के पश्चात् रावण ने अपनी दुहिता अनंगकुसुमा की शादी हनुमान जी से कर दी थी। वरुण देव की पुत्री सत्यवती से शादी: जब वरुण देव एवं रावण के बीच युद्ध हो रहा था तब हनुमान जी वरुण देव की ओर से लड़ते हुए वरुण देव को विजय दिलाई थी। वरुण देव ने इस विजय से खुश होकर अपनी बेटी सत्यवती की शादी हनुमान जी से कर दी थी। शादी के बाद भी आजीवन ब्रह्मचारी रहे हनुमान जी: हनुमान जी ने भले ही खास हालातों के तहत ये तीनों शादी की थी किन्तु उन्होंनें कभी भी अपनी पत्नियों के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारा तथा वे आजीवन ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते रहे। घर की इस दिशा में जलाएं दीपक, नहीं होंगे कभी गरीब पर्स में भूलकर भी ना रखें ये चीजें, नहीं तो जल्द हो जाएंगे निर्धन अगर बनना चाहते हैं धनवान तो अपनाएं ये विशेष उपाय