नाइजीरिया: नाइजीरिया में पुलिस की बर्बरता के विरुद्ध कई दिनों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के उपरांत भड़की हिंसा में कम से कम 51 आम नागरिकों और 18 सुरक्षा कर्मियों की जान चली गई नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी ने यह सूचना दी। उन्होंने हिंसा के लिए 'उपद्रव' को जिम्मेदार ठहराते हुए बोला कि सुरक्षा बलों ने 'अत्यंत संयम' से काम कर रहे है। राष्ट्रपति की टिप्पणियों से अफ्रीका के इस सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में तनाव और बढ़ता जा रहा है। मानवाधिकार संगठन 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने बोला कि सैनिकों ने मंगलवार रात गोलियां चलाईं और इसमें कम से कम 12 प्रदर्शनकारियों की जान चली गई। इस घटना की इंटरनेशनल स्तर पर निंदा हो रही है। बुहारी ने एक बयान में कहा कि "बृहस्पतिवार तक ''दंगाइयों'' ने 11 पुलिसकर्मियों और सात सैनिकों की हत्या की और 'अशांति का यह दौर' थमा नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य 37 आम नागरिक घायल हो गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सही इरादे से शुरू हुए प्रदर्शन पर उपद्रवियों का कब्जा हो गया है।" जंहा इस बात का पता चला है कि हालांकि राष्ट्रपति के इस बयान पर कई लोगों ने निराशा व्यक्त किया है। मंगलवार रात हुई गोलीबारी के एक चश्मदीद ने कहा, '' जब सैनिक यह कह रहे थे कि झंडा रक्षाकवच नहीं है, तभी मैं समझ गया था कि स्थिति हाथ से निकल रही है।'' इस महीने की शुरुआत में प्रदर्शनकारियों ने सरकार से 'स्पेशल एंटी-रॉबरी स्कवाड' (विशेष डकैती रोधी दस्ता) को समाप्त करने की मांग की थी। इस पुलिस इकाई को एसएआरएस इकाई बोला जाता है। इस दस्ते की शुरुआत अपराध से निपटने के लिए हुई थी, लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि इसने लोगों को प्रताड़ित करने और हत्याएं करने का काम किया। विपक्षी सदस्यों ने 20A के खिलाफ किया मतदान अमेरिकी चुनाव 2020 पर एलन लिक्टमैन की भविष्यवाणी भारत की ताकत देख घबराया पाक, इमरान खान ने सरेआम स्वीकार की ये बात