भारत देश में आज तकनिकी तरक्की, शैक्षणिक तरक्की यहाँ तक की आर्थिक तरक्की की भी उतनी जरुरत नहीं है, जितनी की नैतिक तरक्की की. क्योंकि कभी "सर्वधर्म समाभाव" और "वसुधैव कुटुंभ्कम" का उद्घोष करने वाले भारत में आजकल जितनी बुराइयां नैतिकता के पतन के कारण फैली हैं उतनी और किसी कारण नहीं. लोग झूठे धर्मगुरुओं के बहकावे में आकर एक दूसरे के गले काट रहे हैं. ऐसे में आसाम राज्य के काचर जिले की एक मस्जिद, हिंदुस्तान की वही पुरानी तस्वीर पेश करती है, जिसमे हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई भाइयों की तरह रहते थे. पुणे के इन पत्थरों से निकलता है मधुर संगीत यहाँ की जामा मस्जिद के दूसरे माले पर 12 अलमारियां हैं, जिनमे सभी धर्मों से जुडी लगभग 300 किताबें रखी हुई हैं. यहाँ हिन्दुओं की गीता और वेद हैं, तो ईसाईयों की बाइबिल, साथ ही सिखों की गुरु ग्रन्थ साहिब भी मौजूद हैं. हालाँकि मस्जिद में बैठकर पढ़ने के लिए जगह बहुत कम है, लेकिन फिर भी इन धर्मग्रंथों को वहां सहेजकर रखा गया है. मस्जिद के सचिव सबीर अहमद चौधरी कहते हैं कि इन किताबों को यहाँ रखने का उद्देश्य ये है कि पढ़ने वाले को हर धर्म के बारे में ज्ञान प्राप्त हो और वो सभी धर्मों का सम्मान करना सीखे. Video : IronMan की तरह उड़ा जा रहा है ये शख्स चौधरी कहते हैं कि 1948 में इस मस्जिद के निर्माण के समय से ही वे यहां लाइब्रेरी बनाना चाहते थे, लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से उनका ये सपना 2012 में साकार हुआ. चौधरी ने इस लाइब्रेरी में रबीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और ओशो जैसे दार्शनिकों की किताबें भी रखी हैं. उनका कहना है कि कई लोग उनकी इस लाइब्रेरी से लाभ उठाते हैं और इसी की बदौलत पुरे क्षेत्र में सभी धर्म के लोग आपस में प्रेम पूर्वक रहते हैं. यह भी पढ़ें:- अब जेल जाने के भी लगेंगे पैसे