कोरोना का फर्जी डेथ सर्टिफिकेट दिखाकर मुआवज़ा ले रहे लोग.., 23 मार्च को आएगा 'सुप्रीम' फैसला

नई दिल्ली: कोरोना का कारण हुई मौतों का मुआवजा पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. शीर्ष अदालत अब इस मामले में बुधवार को अपना फैसला देगी. सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि कोरोना से मौत से मुआवजे का आवेदन 6 सप्ताह के अंदर किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और आंध्रप्रदेश में कोरोना से मौत के मुआवजे के 5 फीसद आवेदन की जांच करने के भी निर्देश दिए हैं. 

बता दें कि केंद्र सरकार ने कोरोना से मौत के मुआवजे के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याच‍िका दाखिल की है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया है कि कोरोना से मुआवजे के आवेदन की सीमा 4 सप्ताह निर्धारित की जाए. इसके साथ ही फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के मामले में केंद्र सरकार राज्यों की सहायता से फर्जी सर्टिफिकेट का सैंपल सर्वे करे, ताकि मामले में किसी समाधान तक पहुंचा जा सके. इस पर न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि 4 सप्ताह का समय उचित नहीं है, कम से कम आवेदन के लिए 6 सप्ताह का वक़्त दिया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति शाह ने आगे कहा कि फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में दो से तीन सूबों में सेंपल सर्वे किया जाए.

बता दें कि गत वर्ष शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को कोरोना के कारण जान गंवाने वाले पर‍िवार को 50,000 मुआवजे के तौर पर देने का न‍िर्देश द‍िया था. अदालत ने कहा था कि जान गंवाने वाले पर‍िवार को आवेदन करने के 30 दिनों के अंदर पैसा वितरित किया जाना चाहिए. महाराष्ट्र में मुआवजे के दावों की तादाद हैरान करती है, क्‍योंकि यहां 241,000 से अधिक लोगों ने मुआवजे का दावा किया है, जबक‍ि राज्य में कोरोना वायरस की वजह से होने वाली मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 143,706 है.

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