क्या आप जानते हैं पेप्टिक अल्सर के लक्षण, ऐसे करें बचाव

लाइफस्टाइल के बदले ही आपके खानपान में भी बदलाव आने अलगते हैं. इससे आपके पेट के लिए दिक्कत हो जाती है. गर आपका पेट ठीक रहेगा तो ही आप ठीक रहेंगे. देखा गया है कि खानपान में बदलाव का नतीजा है कि युवाओं में पेट के अल्सर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ये खानपान के कारण ही होता है. अगर इससे आपको छुटकारा पाना है तो कुछ तरीकों को अपनाना होगा जिसके बारे में हम बताने जा रहे हैं. आपको बता दें, सामान्य भाषा में कहें तो पेट में छाले व घाव हो जाने को पेप्टिक अल्सर कहा जाता है. जानते हैं इसके बारे में.

क्यों होता है : पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड के तीखेपन से बचाती है. इस ऐसिड और म्यूकस परतों के बीच तालमेल होता है. इस संतुलन के बिगड़ने पर ही अल्सर होता है.

अल्सर के लक्षण: अल्सर के लक्षणों में ऐसिडिटी होना, पेट फूलना, गैस बनना, बदहजमी, डायरिया, कब्ज, उलटी, आंव, मितली व हिचकी आना प्रमुख हैं. इसके अलावा पेप्टिक अल्सर होने पर सांस लेने में भी दिक्कत होती है. यदि पेप्टिक अल्सर का जल्दी उपचार न किया जाए और यह लंबे समय तक शरीर में बना रहे तो यह स्टमक कैंसर का कारण भी बन जाता है. इसलिए जल्दी ही इसका उपाय करें. 

क्या न करें: पेप्टिक अल्सर से बचना है तो धूम्रपान, तंबाकू युक्त पदार्थों, मांसाहार, कैफीन तथा शराब  से दूर रहें. क्या करें :  इसके लिए अपनाएं ये उपाय 

* पुदीना पेट को ठंडा रखता है. इसे पानी में उबाल कर या मिंट टी के रूप में लिया जा सकता है. * अजवाइन पेट को हलका रखती है और दर्द से भी राहत दिलाती है. * बेलाडोना मरोड़ और ऐंठन से राहत दिलाता है. * स्टोमाफिट लिक्विड और टैबलेट पेट को फिट रखने में लाभकारी है. इस में मौजूद पुदीना, अजवाइन, बेलाडोना और बिस्मथ विकार को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है.  

 

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